नाम न छापने की शर्त पर आरएसएस के एक वरिष्ठ स्वयंसेवक ने कहा कि अमृत महोत्सव अभियान के तहत चर्चित स्वतंत्रता सेनानियों के अलावा आजादी के जो नायक गुमनाम हैं, संघ उन्हें तलाशेगा और उनसे स्थानीय लोगों को जोड़ेगा। यह कार्यक्रम सिर्फ स्वतंत्रता सेनानियों की याद दिलाने तक सीमित नहीं हैं। इसके तहत लोगों को राष्ट्रवादी मुद्दों जैसे- राम मंदिर, अनुच्छेद 370, नागरिकता कानूनों आदि के बारे में जागरूक किया जाएगा। इसके अलावा आजादी के नायकों के स्मारकों पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देना, दीप जलाना और उनकी चर्चा करना आदि शामिल है।
19 नवम्बर से होगा आगाज
19 नवम्बर से आरएसएस यूपी में एक महीने तक अमृत महोत्सव को अभियान के तौर पर मनाएगा। इसकी शुरुआत 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाली झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की 193वीं वर्षगांठ से होगी और समापन विजय दिवस (16 दिसंबर) पर होगा। 16 दिसंबर 1971 को भारतीय जांबाजों ने पाकिस्तानी सेनाओं को आत्मसमर्पण के लिए विवश कर दिया। 19 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बुंदेलखंड की यात्रा पर होंगे, जहां से वह बीजेपी के 2022 के चुनाव प्रचार का शंखनाद करेंगे।
19 नवम्बर से आरएसएस यूपी में एक महीने तक अमृत महोत्सव को अभियान के तौर पर मनाएगा। इसकी शुरुआत 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाली झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की 193वीं वर्षगांठ से होगी और समापन विजय दिवस (16 दिसंबर) पर होगा। 16 दिसंबर 1971 को भारतीय जांबाजों ने पाकिस्तानी सेनाओं को आत्मसमर्पण के लिए विवश कर दिया। 19 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बुंदेलखंड की यात्रा पर होंगे, जहां से वह बीजेपी के 2022 के चुनाव प्रचार का शंखनाद करेंगे।
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30 नवम्बर से तिरंगा यात्रा
30 नवंबर से 15 दिसंबर के बीच आयोजित की जाने वाली तिरंगा यात्रा के दौरान स्वयंसेवक तिरंगा लेकर गांव और ब्लॉक स्तर पर साइकिल, बाइक से युवाओं में देशभक्ति की अलख जगाएगें। 16 दिसंबर को हर प्रखंड के बड़े कॉलेज-स्कूल ग्राउंड में वंदेमातरम का सामूहिक गायन आयोजित किया जाएगा।
पूरा फोकस बुंदेलखंड और पूर्वांचल पर
उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से 20 बुंदेलखंड में और 156 पूर्वांचल में है। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी में बुंदेलखंड की सभी सीटों पर कमल खिलाया था, जबकि पूर्वांचल में 100 से अधिक सीटें जीती थीं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2022 में जो भी दल बुंदेलखंड और पूर्वांचल में बढ़त हासिल करेगा, लखनऊ में सत्ता भी उसी दल की बनेगी। इसीलिए बीजेपी और आएएसएस का पूरा फोकस इन क्षेत्रों पर है। खासकर पश्चिमी यूपी में किसानों के विरोध के चलते संभावित नुकसान को देखते हुए बीजेपी की रणनीति पूर्वांचल और बुंदेलखंड से इसकी भरवाई करने की है। इसके लिए इन क्षेत्रों के लोगों की सहूलियत के लिए लगातार सौगातें दी जा रही हैं।
उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से 20 बुंदेलखंड में और 156 पूर्वांचल में है। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी में बुंदेलखंड की सभी सीटों पर कमल खिलाया था, जबकि पूर्वांचल में 100 से अधिक सीटें जीती थीं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2022 में जो भी दल बुंदेलखंड और पूर्वांचल में बढ़त हासिल करेगा, लखनऊ में सत्ता भी उसी दल की बनेगी। इसीलिए बीजेपी और आएएसएस का पूरा फोकस इन क्षेत्रों पर है। खासकर पश्चिमी यूपी में किसानों के विरोध के चलते संभावित नुकसान को देखते हुए बीजेपी की रणनीति पूर्वांचल और बुंदेलखंड से इसकी भरवाई करने की है। इसके लिए इन क्षेत्रों के लोगों की सहूलियत के लिए लगातार सौगातें दी जा रही हैं।