ये भी पढ़ें- सीबीआई की छापेमारी जारी, इस डीएम के घर मिली इतनी भारी रकम, मशीन मंगवाकर करनी पड़ी गिनती सड़कों का डिजाइन भी हादसों के लिए जिम्मेदार- यूपी रोड सेफ्टि सेल के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि बेहतर सड़कें भी एक कारण है, वहीं दोषपूर्ण सड़कों की इंजीनियरिंग भी हादसे के लिए जिम्मेदार होती हैं। अधिकारी का कहना है कि तीन साल पहले, बरेली में एक बस हादसा हुआ था, जिसके बाद हमने रोड इंजीनियरिंग की त्रुटि को ठीक किया था। सड़क को इस तरह से डिजाइन किया गया था कि ड्राइवर के लिए यह असंभव था कि वह क्रॉसिंग से आगे देख सके। सीएम योगी (CM Yogi) को सौंपी गई बस हादसे की जांच रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र है कि यमुना एक्सप्रेस वे (Yamuna Expressway) का निर्माण हादसों की मुख्य वजह हैं।
ये भी पढ़ें- विधानसभा उपचुनाव को लेकर सपा ने सबसे पहले जारी किया बयान, अखिलेश ने 12 प्रत्याशियों के चयन को लेकर की बड़ी बात चिकनी सड़के भी देती हैं गति को बढ़ावा-
एक अधिकारी ने कहा कि इसके अलावा, चिकनी सड़कें भी गति को बढ़ाने के लिए ड्राइवर को प्रेरित करती हैं। पिछले कुछ वर्षों में कम से कम 6० प्रतिशत बस दुर्घटनाएं एक्सप्रेसवे (Expressway) और राजमार्गों पर हुई हैं। एक्सप्रेसवे पर एक अलग तरह की ड्राइविंग का अनुभव मिलता है और कम यातायात के कारण ड्राइवर आसानी से गाड़ी की स्पीड बढ़ा देता है। एक अधिकारी ने कहा, “जब हम कारणों का विश्लेषण करते हैं, तो हम इसे तीन मापदंडों- यांत्रिक विफलता, मानवीय त्रुटि और दूसरी तरफ ड्राइवर की गलती- को देखते हैं।”
ये भी पढ़ें- शिवपाल सिंह यादव का रुख साफ, 12 सीटों पर उपचुनाव को लेकर हुई बड़ी घोषणा, गठबंधन को हुए तैयार Yamuna Expressway y Accident” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2019/07/08/b_1_4820166-m.png”>165 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ते दिखे वाहन-
यमुना एक्सप्रेसवे (Yamuna Expressway) पर हादसे में हुई 29 लोगों की मौत के एक दिन बाद मंगलवार को बसों की स्पीड लिमिट में कोई बदलाव नहीं देखा गया। करीब 165 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से कई बसें व ट्रके एक्सप्रेस वे पर फर्राटा भरती नजर आई। दुर्घटना के बाद 24 घंटे के लिए शुरू किए गए एक विशेष अभियान में पाया गया कि करीब 223 भारी वाहन 115 किमी प्रति घंटे की औसत गति से गाड़ी चला रहे थे। जब्कि एक्सप्रेसवे पर भारी वाहनों के लिए अधिकतम अनुमेय गति सीमा 60 किलोमीटर प्रति घंटा तय की गई है। 223 ओवरस्पीड वाहनों में 105 बसें थी।