पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने 1974 में लोकदल का गठन किया था। 1977 में इस पार्टी का जनता पार्टी में विलय हो गया। 1980 में दल का नाम ‘दलित मजदूर किसान पार्टी’ रखा गया। पार्टी में अंतरिक कलह के चलते 1985 में चौधरी चरण सिंह ने फिर से लोकदल का गठन किया। 1987 में चौधरी अजित सिंह ने लोकदल (अ) यानी लोकदल अजित के नाम से नई पार्टी बना ली, 1993 में जिसका कांग्रेस में विलय हो गया। इसके बाद 1996 में अजित सिंह फिर अलग हुए किसान कामगार पार्टी बना ली। 1998 में अजित सिंह ने इस दल का नाम बदलकर राष्ट्रीय लोकदल कर दिया।
राष्ट्रीय लोकदल की राजनीतिक हमेशा वेस्ट यूपी के ईद-गिर्द ही घूमती रही। इनमें मुख्य रूप से मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, गौतमबुद्धनगर, बागपत, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर, आगरा, अलीगढ़, मथुरा, फिरोजाबाद, एटा, मैनपुरी, बरेली, बदायूं, पीलीभीत और शाहजहांपुर जिले शामिल हैं।
रालोद पार्टी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की समस्या को काफी समय से उठाती आई है। गन्ना किसानों के भुगतान मामले में चीनी मिले इस पार्टी के निशाने पर रही हैं। जाटों को लेकर भी पार्टी आबादी व आर्थिक आधार पर आरक्षण की बात करती रही है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत चौधरी अजित सिंह ( संस्थापक और पूर्व अध्यक्ष ), जयंत चौधरी ( राष्ट्रीय अध्यक्ष ) डॉक्टर मैराजुद्दीन ( पूर्व सिंचाई मंत्री ) रालोद महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर प्रियमवदा तौमर, पूर्व विधायक राव वारिश
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