अपनी फेसबुक पोस्ट में उन्होंने लिखा है – ‘ भेड़’ के झुंड पर ‘भेड़ियों’ की सत्ता का स्वाँग ….. स्वार्थी ‘भांडों’ का बेशर्मीभरा जलवा क़ायम है ! केंद्रीय चुनाव आयोग बना भाड़े का टट्टू… कहाँ शेषन-काल की उच्च प्रतिष्ठा और कहाँ आज का गंगू , नपुंसक चुनाव आयोग ……… ‘चलायमान’ मुख्य चुनाव आयुक्त ‘अचल’ कुमार ज्योति (AK Jyoti) ने लगाया चुनाव आयोग की प्रतिष्ठा को बट्टा !!’
उन्होंने आगे लिखा है – ‘ माना कि केजरीवाल द्वारा 21 विधायकों को संसदीय सचिव कदापि नहीं बनाना चाहिए था चूँकि ‘केजरीवाल’ एक आदर्श वैकल्पिक राजनीति के प्रतीक के रूप में सामने आए थे…..कथनी-करनी के अंतर से बचना चाहिए था। लेकिन….छत्तीसगढ़ में 11, राजस्थान में 10 , अरुणाचल में 26 संसदीय सचिव रहे हैं/अभी भी हैं। और मध्य प्रदेश में 111 विधायकों को लाभ के पद आज भी दिए हुए हैं। उत्तर प्रदेश में भी ‘दर्जनों’ विधायकों को पूर्व सरकारों में राज्यमंत्री स्तर व विभागीय सलाहकार बनाया गया था। तब चुनाव आयोग तब कहाँ सोया था ? आज भारत निर्वाचन आयोग की प्रतिष्ठा रसातल पर है।’
सूर्य प्रताप सिंह ने आगे लिखा है – ‘ कभी सुप्रीम कोर्ट …… तो कभी चुनाव आयोग ….. … कभी सीबीआई…. कभी इंकम टैक्स…. कभी ईडी…..कभी उ.प्र. लोकसेवा आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं का राजनीतिक इस्तेमाल आज एक आम बात है …. अब तो मीडिया की भी जैसे ‘बोली’ लग चुकी है….. TV डिबेटों में आज रोज दिखती है राजनीतिक जोकरों को बैठाकर जनता को मूर्ख बनाने के लिए की जाने वाली तू-तू-मैं-मैं…… देश में लोकतंत्र गया तेल लेने …… ‘भेड़ों’ के झुंड पर ‘भेड़ियों’ की सत्ता का स्वाँग है इस देश में लोकतंत्र आज !!’