कैबिनेट ने 24 नवंबर को अध्यादेश को मंजूरी दी थी और उसे अनुमोदन के लिए राजभवन भेजा था। अध्यादेश के तहत धर्मांतरण के मामलों में 10 साल की सजा का प्रावधान है। प्रदेश में अब कोई जबरन विवाह के लिए धर्म परिवर्तन कराएगा या प्रलोभन देकर या फिर शादी के बाद धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करेगा तो उसे अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा। यह अपराध गैरजमानती होगा।
संस्था या संगठन के विरुद्ध भी सजा का प्रावधान धर्मांतरण के लिए लागू कानून में उस संस्था या संगठन के लिए भी सजा का प्रावधान है जो धर्मांतरण के मामले में दोषी पाया जाएगा। सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामलों में शामिल संबंधित सामाजिक संगठनों का पंजीकरण निरस्त कर उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों में साक्ष्य देने का भार भी आरोपित पर होगा। यानी कपटपूर्वक, जबरदस्ती या विवाह के लिए किसी का धर्म परिवर्तन किए जाने के मामलों में आरोपित को ही साबित करना होगा कि ऐसा नहीं हुआ।
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