लखनऊ

धर्म परिवर्तन के लिए 60 दिन पहले देनी होगी जानकारी, दोषी पाए जाने पर जानें क्या है सजा और जुर्माना

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने धर्म परिवर्तन के लिए संबंधित अध्यादेश को शनिवार को मंजूरी दे दी है। यूपी में अब धर्मांतरण के लिए कानून लागू हो गया है। इसके तहत छल कपट या जबरन धर्म परिवर्तन कराकर शादी करने पर सजा मिलेगी। साथ ही स्वेच्छा से धर्म बदलने के लिए कम से कम 60 दिन पहले यानी शादी से दो माह पहले जिलाधिकारी या संबंधित जिला मजिस्ट्रेट को जानकारी देनी होगी।

लखनऊNov 29, 2020 / 08:48 am

Karishma Lalwani

धर्म परिवर्तन के लिए 60 दिन पहले देनी होगी जानकारी, दोषी पाए जाने पर जानें क्या है सजा और जुर्माना

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने धर्म परिवर्तन के लिए संबंधित अध्यादेश को शनिवार को मंजूरी दे दी है। यूपी में अब धर्मांतरण के लिए कानून लागू हो गया है। इसके तहत छल कपट या जबरन धर्म परिवर्तन कराकर शादी करने पर सजा मिलेगी। साथ ही स्वेच्छा से धर्म बदलने के लिए कम से कम 60 दिन पहले यानी शादी से दो माह पहले जिलाधिकारी या संबंधित जिला मजिस्ट्रेट को जानकारी देनी होगी। उनके समझ तय प्रारूप में आवेदन करना अनिवार्य होगा। आवेदन पत्र में यह घोषणा करनी होगी कि संबंधित व्यक्ति खुद से, अपनी स्वतंत्र सहमति से व बिना किसी दबाव, बल या प्रलोभन के धर्म परिवर्तन करना चाहता है। घोषणा करने की तारीख से 21 दिनों के भीतर संबंधित व्यक्ति को जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत होकर अपनी पहचान स्थापित करनी होगी और घोषणा की विषयवस्तु की पुष्टि भी करनी होगी। इसके बाद जिलाधिकारी धर्म परिवर्तन के वास्तविक आशय व कारण की पुलिस के जरिये जांच कराने के बाद अनुमति देंगे।
कैबिनेट ने 24 नवंबर को अध्यादेश को मंजूरी दी थी और उसे अनुमोदन के लिए राजभवन भेजा था। अध्यादेश के तहत धर्मांतरण के मामलों में 10 साल की सजा का प्रावधान है। प्रदेश में अब कोई जबरन विवाह के लिए धर्म परिवर्तन कराएगा या प्रलोभन देकर या फिर शादी के बाद धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करेगा तो उसे अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा। यह अपराध गैरजमानती होगा।
संस्था या संगठन के विरुद्ध भी सजा का प्रावधान

धर्मांतरण के लिए लागू कानून में उस संस्था या संगठन के लिए भी सजा का प्रावधान है जो धर्मांतरण के मामले में दोषी पाया जाएगा। सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामलों में शामिल संबंधित सामाजिक संगठनों का पंजीकरण निरस्त कर उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों में साक्ष्य देने का भार भी आरोपित पर होगा। यानी कपटपूर्वक, जबरदस्ती या विवाह के लिए किसी का धर्म परिवर्तन किए जाने के मामलों में आरोपित को ही साबित करना होगा कि ऐसा नहीं हुआ।
सजा और जुर्माना

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