आयोग ने सिफारिश की है कि चेन स्नेचिंग के अपराध के लिये धारा 379-ए के तहत कम से कम 3 से 10 साल की जेल और जुर्माना व चेन स्नेचिंग के दौरान मारपीट, गंभीर रूप से घायल करने या हत्या करने पर धारा 379-बी के तहत 5 से 14 साल की सजा की सिफारिश की है। आयोग का मानना है कि न सिर्फ चेन स्नेचिंग करने वाले बल्कि लूटा गया सामान खरीदने वालों पर भी कार्रवाई जरूरी है। क्योंकि लूटा गया माल बाजार में बिकने के साथ ही गला दिये जाने से बरामदगी नहीं हो पाती, जिससे अपराधी को सजा कम मिलती है। ऐसे में इस तरह की सम्पत्ति खरीदने वालों को भी आरोपी बनाकर उनके लिये सजा के प्रावधान की वकालत की गई है। इसके लिये आयोग ने आईपीसी की धारा 411 और 413 तक में संशोधन करने का सुझाव दिया है।
आयोग के अनुसार विधानसभा चेन स्नेचिंग जैसी घटनाओं को रोकने के लिये भारतीय दण्ड संहिता में संशोधन कर सकती है। इसे अलावा अनुच्छेद 245 के तहत उत्तर प्रदेश विधानमंडल आईपीसी की धारा 379-ए और 379-बी को लागू करने में भी सक्षम है। प्रदेश में चेन स्नेचिंग का अलग से से कानून नहीं होने के चलते विधानसभा में क्रिमिनल लाॅ संशोधन बिल को पारित कराकर इसे लागू किया जा सकता है।
दरअसल चेन स्नेचिंग पुलिस के लिये हमेशा से सिरदर्द रहा है। इसके चलते महिलाएं भी असुरक्षित महसूस करती हैं। अक्सर ऐसी घटना के दौरान विरोध करने पर अपराधी हत्या करने तक से नहीं चूकते। राज्य विधि आयोग ने हर पहलुओं को समझने और गहन मंथन के बाद ये सिफारिश करते हुए यूपी सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है।