रायबरेली की राजनीति को बेहद करीब से जानने वालों का कहना है कि पिता अखिलेश सिंह के निधन के बाद राजनीतिक विरोधी अदिति को कमजोर करने कोशिशों में लग गये, जिसके चलते शायद वह खुद को कमजोर महसूस कर रही थीं। विरोधियों से निपटने के लिए उनके पास पिता जैसा कोई नहीं बचा, जिस पर वह आंख मूंदकर भरोसा कर सकें। इसके अलावा गांधी परिवार की करीबी होने का तमगा भी उनके राजनीतिक करियर को नुकसान पहुंचा रहा था। अदिति की यह कोशिश खुद को मजबूत नेता के तौर पर पेश करने की है। राहुल और सोनिया का करीबी बताया जाना उनके कैरियर को नुकसान पहुंचा रहा था।
अब तक का पूरा मामला
विपक्ष के बहिष्कार के बावजूद योगी सरकार द्वारा बुलाये गये विधानसभा सत्र में भाग लेने अदिति सिंह पहुंची थीं। अगले ही दिन योगी सरकार ने उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा दी तो कांग्रेस और तमतमा उठी। कांग्रेसियों ने रायबरेली में विधायक आवास का घेराव किया। आलाकमान की ओर से उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी हुआ। हालांकि, अदिति का कहना है कि उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला है। नाराजगी जताते हुए कहा कि पार्टी ने नोटिस मीडिया में बांट दिया होगा, लेकिन मुझे नहीं दिया। कहा कि कांग्रेस विधानमंडल के नेता अजय लल्लू फोन का जवाब भी नहीं दे रहे हैं।
विपक्ष के बहिष्कार के बावजूद योगी सरकार द्वारा बुलाये गये विधानसभा सत्र में भाग लेने अदिति सिंह पहुंची थीं। अगले ही दिन योगी सरकार ने उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा दी तो कांग्रेस और तमतमा उठी। कांग्रेसियों ने रायबरेली में विधायक आवास का घेराव किया। आलाकमान की ओर से उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी हुआ। हालांकि, अदिति का कहना है कि उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला है। नाराजगी जताते हुए कहा कि पार्टी ने नोटिस मीडिया में बांट दिया होगा, लेकिन मुझे नहीं दिया। कहा कि कांग्रेस विधानमंडल के नेता अजय लल्लू फोन का जवाब भी नहीं दे रहे हैं।
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कौन हैं अदिति सिंह
अदिति सिंह 2017 में पहली बार रायबरेली से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची थीं। उनके पिता स्वर्गीय अखिलेश सिंह भी पांच बार रायबरेली से विधायक रह चुके हैं। अदिति ने अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी से पढा़ई की है। इसके अलावा उन्होंने दिल्ली और मसूरी से भी पढ़ाई की है।