मूल रूप से आगरा के फतेहपुर सीकरी के रहने वाले रमेश गोयल साल 1999 में रिलीज हुई फिल्म ’सरफरोश’ में अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा चुके है। वह ‘सलाम बाम्बे 1988’, ‘हम है राही प्यार के 1993’, ‘डांस दोस्ती और स्कूल 2015’, में एक्टिंग कर चुके हैं। लगभग 45 साल पहले आई फिल्म ‘आंधी’ में संजीव कुमार और सुचित्रा सेन लीड रोल में थे। उस फिल्स में दिखाई गई भीड़ में एक सीन मेरा भी था। उस दौरान मुझे बतौर कलाकार 13 रुपये मिले थे। रमेश ने बताया कि उन्होंने तकरीबन 450 फिल्मों व सीरियल में बतौर एक्टर काम किया है। कोई भी ऐसा रोल नहीं है, जो उन्होंने न किया हो। यही वजह है कि वे लंबे समय से अब तक सिने जगत में स्थापित हैं, जबकि तमाम कलाकार इस क्षेत्र से बाहर हो चुके हैं।
सवाल- आपने ऐसा क्यों कहा कि जिस प्रसिद्ध का आपको सालों से इंतजार था। वह अब जाकर मिली।
जवाब- रामायण सीरियल के दोबारा शुरू होने के बाद जिस दिन भगवान राम चन्द्र के हाथों मामा मारीच के वध का ऐपीसोड खत्म हुआ, और मैं पुरानी यादों में खोया हुआ था कि तभी मेरे मोबाइल की घंटी एक-एक कर लगातार बजती जा रही थी। सभी मुझसे कह रहा था कि रमेश भाई बहुत सीनियर आर्टिस्ट हैं। मुझे रामायण में आपके मारीच का किरदार देखकर पता चला। वह बधाई दे रहे थे। रामायण ने मुझे दोबारा जवान कर दिया।
जवाब- रामायण सीरियल के दोबारा शुरू होने के बाद जिस दिन भगवान राम चन्द्र के हाथों मामा मारीच के वध का ऐपीसोड खत्म हुआ, और मैं पुरानी यादों में खोया हुआ था कि तभी मेरे मोबाइल की घंटी एक-एक कर लगातार बजती जा रही थी। सभी मुझसे कह रहा था कि रमेश भाई बहुत सीनियर आर्टिस्ट हैं। मुझे रामायण में आपके मारीच का किरदार देखकर पता चला। वह बधाई दे रहे थे। रामायण ने मुझे दोबारा जवान कर दिया।
सवाल- रामायण के पुन शुरू होने से आप कैसे जी उठे ?
जवाब- रामायण की वजह से अब मुझे और अधिक रोल करने के ऑफर आने लगे है। मेरे मारीच के किरदार देखकर तमाम डायरेक्टर मुझसे कहने लगे कि सर आप तो बहुत ही सीनियर एक्टर हैं।
जवाब- रामायण की वजह से अब मुझे और अधिक रोल करने के ऑफर आने लगे है। मेरे मारीच के किरदार देखकर तमाम डायरेक्टर मुझसे कहने लगे कि सर आप तो बहुत ही सीनियर एक्टर हैं।
सवाल- आप पर किस प्रकार से भगवान कृपा बरसी ?
जवाब- रामायण सीरियल की दोबारा शुरूआत बहुत अच्छी बात है। भगवान राम की मेरे ऊपर विशेष कृपा रही है। रामेश ने कहा कि मेरे संधर्ष के समय जब मैं अंधेरी रेलवे स्टेशन पर सोया करता था कि उस दौरान मुझे रामायण सीरियल में काम मिला और भगवान राम की कृपा से मेरी दाल-रोटी चल पड़ी।
जवाब- रामायण सीरियल की दोबारा शुरूआत बहुत अच्छी बात है। भगवान राम की मेरे ऊपर विशेष कृपा रही है। रामेश ने कहा कि मेरे संधर्ष के समय जब मैं अंधेरी रेलवे स्टेशन पर सोया करता था कि उस दौरान मुझे रामायण सीरियल में काम मिला और भगवान राम की कृपा से मेरी दाल-रोटी चल पड़ी।
सवाल- किस फिल्म और सीरियल से आपको पहचान मिली?
जवाब- ’सरफरोश’ फिल्म और रामायण सीरियल से मुझे विशेष पहचान मिली। सवाल- आप किसे एक्टर को आप किस कलाकार को पर्फेक्ट मानते है? जिन्होने इंडस्ट्री में आपकी मदद को पहचान दिलाने में मदद की हो।
जवाब- आमिर खान को महान कलाकार मानते हैं, क्योंकि ’सरफरोश’ में मिस्टर परफेक्शनिस्ट ने खुद के डायलॉग्स उन्हें दे दिए थे। रामेश गोयल ने एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बताया। वे अपने 41 साल के फिल्मी कॅरियर में सबसे त्यागी और महान कलाकार आमिर खान को मानते हैं। उन्होंने बताया कि ’सरफरोश’ फिल्म में आमिर ने खुद के कई डायलॉग्स उन्हें दे दिए थे। उसी दिन वे उनके फैन हो गए थे।
जवाब- ’सरफरोश’ फिल्म और रामायण सीरियल से मुझे विशेष पहचान मिली। सवाल- आप किसे एक्टर को आप किस कलाकार को पर्फेक्ट मानते है? जिन्होने इंडस्ट्री में आपकी मदद को पहचान दिलाने में मदद की हो।
जवाब- आमिर खान को महान कलाकार मानते हैं, क्योंकि ’सरफरोश’ में मिस्टर परफेक्शनिस्ट ने खुद के डायलॉग्स उन्हें दे दिए थे। रामेश गोयल ने एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बताया। वे अपने 41 साल के फिल्मी कॅरियर में सबसे त्यागी और महान कलाकार आमिर खान को मानते हैं। उन्होंने बताया कि ’सरफरोश’ फिल्म में आमिर ने खुद के कई डायलॉग्स उन्हें दे दिए थे। उसी दिन वे उनके फैन हो गए थे।
सवाल- फतेहपुर सीकरी से निकलते समय आपने क्या सोचा था?
जवाब- रमेश गोयल ने बताया कि 1973 में वे फतेहपुर सीकरी से अकेले ही मुंबई गए। जेब में पैसे तक नहीं थे। कई दिन तक भूखे भी रहना पड़ा। एक ही धुन थी फिल्मों में काम करना है। कोई प्रोड्यूसर, डायरेक्टर मिलने को तैयार तक नहीं होता था। बल्कि बेइज्जत किया जाता था, लेकिन हताश नहीं हुए, क्योंकि फतेहपुर सीकरी से यह सोच कर मुंबई गए थे-जीना यहां, मरना यहां। 1974 में ’जानेमन’ फिल्म में काम मिला, जिसमें देवानंद और हेमामालिनी थे, लेकिन उससे कोई खास पहचान नहीं मिली।
जवाब- रमेश गोयल ने बताया कि 1973 में वे फतेहपुर सीकरी से अकेले ही मुंबई गए। जेब में पैसे तक नहीं थे। कई दिन तक भूखे भी रहना पड़ा। एक ही धुन थी फिल्मों में काम करना है। कोई प्रोड्यूसर, डायरेक्टर मिलने को तैयार तक नहीं होता था। बल्कि बेइज्जत किया जाता था, लेकिन हताश नहीं हुए, क्योंकि फतेहपुर सीकरी से यह सोच कर मुंबई गए थे-जीना यहां, मरना यहां। 1974 में ’जानेमन’ फिल्म में काम मिला, जिसमें देवानंद और हेमामालिनी थे, लेकिन उससे कोई खास पहचान नहीं मिली।
सवाल- संघर्ष के दौरान की क्या बातें याद आतीं हैं?
जवाब- आज मुझे हर जगह भरपूर सम्मान मिल रहा हो, लेकिन फर्श से अर्श तक के मेरे जीवन में संघर्ष की गाथा बहुत ही कड़वी है। अगर अतीत के पन्ने पलटे तो कई दास्तान में दर्ज थीं कई महीनों तक प्लेटफॉर्म और फुटपाथों पर गुजारी भूख और प्यास से तड़पती रातें। प्रसिद्ध अभिनेता रमेश गोयल बताते है कि वह फतेहपुर सीकरी के गुड़ की मंडी निवासी हैं। आगरा में ससुराल है। मेरे मां-बाप नहीं है उनका देहान्त मेरे संघर्ष के दौरान ही हो गया था। लेकिन आज मेरे मां-बाप की आत्मा जहां भी होगी। वह खुश होगी और कह रही होगी कि मेरो लला रमेश ने कछऊ तो करैऊ।
जवाब- आज मुझे हर जगह भरपूर सम्मान मिल रहा हो, लेकिन फर्श से अर्श तक के मेरे जीवन में संघर्ष की गाथा बहुत ही कड़वी है। अगर अतीत के पन्ने पलटे तो कई दास्तान में दर्ज थीं कई महीनों तक प्लेटफॉर्म और फुटपाथों पर गुजारी भूख और प्यास से तड़पती रातें। प्रसिद्ध अभिनेता रमेश गोयल बताते है कि वह फतेहपुर सीकरी के गुड़ की मंडी निवासी हैं। आगरा में ससुराल है। मेरे मां-बाप नहीं है उनका देहान्त मेरे संघर्ष के दौरान ही हो गया था। लेकिन आज मेरे मां-बाप की आत्मा जहां भी होगी। वह खुश होगी और कह रही होगी कि मेरो लला रमेश ने कछऊ तो करैऊ।
सवाल- क्या इंडस्ट्री में नए कलाकारों को मौका मिल रहा है?
जवाब- भारत विश्व में रहने के लिए सबसे खूबसूरत जगह है। इस समय नए लोग इंडस्ट्री में आए हैं। उन्होंने आगे कहा कि हर फिल्म में सलमान खान तो नहीं हो सकता, इसीलिए नए कलाकारों को मौका मिल रहा है। अगर आप के अंदर टैलेंट है तो एक बार जरूर ट्राई करना चाहिए। अगर वो 45 साल पहले आगरा से मुंबई न गए होते तो इस वक्त खेतों में हल चला रहे होते और कोई भी ऑटोग्राफ या इंटरव्यू के लिए नहीं आता।
जवाब- भारत विश्व में रहने के लिए सबसे खूबसूरत जगह है। इस समय नए लोग इंडस्ट्री में आए हैं। उन्होंने आगे कहा कि हर फिल्म में सलमान खान तो नहीं हो सकता, इसीलिए नए कलाकारों को मौका मिल रहा है। अगर आप के अंदर टैलेंट है तो एक बार जरूर ट्राई करना चाहिए। अगर वो 45 साल पहले आगरा से मुंबई न गए होते तो इस वक्त खेतों में हल चला रहे होते और कोई भी ऑटोग्राफ या इंटरव्यू के लिए नहीं आता।
सवाल- खाली समय में आप क्या करना पसंद करते हैं?
जवाब- खाली समय में मैं टिकटॉक व गुगल पर अपने वीडियों को देखकर उसे मौज-मस्ती करता/खुश होता हूं। सवाल- देश में इन्टॉलरेंस जैसी कोई बात है क्या?
जवाब- रमेश गोयल की भारत में जैसी कोई बात नहीं है। लोग क्या बोलते हैं। इससे उन्हे कोई फर्क नहीं पड़ता।
जवाब- खाली समय में मैं टिकटॉक व गुगल पर अपने वीडियों को देखकर उसे मौज-मस्ती करता/खुश होता हूं। सवाल- देश में इन्टॉलरेंस जैसी कोई बात है क्या?
जवाब- रमेश गोयल की भारत में जैसी कोई बात नहीं है। लोग क्या बोलते हैं। इससे उन्हे कोई फर्क नहीं पड़ता।
सवाल- कोरोना वाइरस के विषय में आप देश से क्या अपील करेंगे?
जवाब- जानबूझ कर गलती करोगे तो तुम भी मामा मारीच के तरह मारे जाओगे। इसलिए संकट को पहचानों और सजग हो जाओ। अदृश्य दानव कोरोना वाइरस (कोविड-19) ने भारत समेत विश्व के लगभग 200 से अधिक देशों में कोहराम मचा रखा है। जिन्होने इसकी गम्भीरता को नहीं समझा आज वो सब काल के मुहं में समा गये। कोरोना को मजाक में नहीं लिया जा सकता है। यह एक गभ्मीर समस्या है। यूरोपीय देश इस कोरोना रूपी अदृश्य दानव को लेकर बेपरवाह दिखे और लापरवाही बरती। जो काल साबित हुआ। ऐसे में हमें उनकी गलतियों से सबक लेते हुये। अपने घरों में रहना चाहिए। तभी हम कोरोना वाइरस की चेन को तोड़ सकने में कामयाब होंगे। इस अदृश्य दानव कोविड-19, से हमारे कोरोना वॅरियर्स मोर्चा ले रहे है और अपने लोगों की सुरक्षा एवं कोविड-19 के संहार के लिये एक अचूक उपाय भी ढूंढने में लगे हुये हैं। जिससे कोविड-19 का खात्मा किया जा सके। इतिहास गवाह है कि जब-जब भारत की धरती पर कोई असुरी शक्ति व अदृश्य शक्ति ने आतंक फैलाने का काम किया है। तो उसे काल के मुंह में समाना पड़ा है। कोरोना वाइरस के साथ भी ऐसा ही होने वाला है। अब उसका अन्त समीप ही है। हमें धैर्य और संयम दिखाने की जरूरत है। भारतीय के दृढ संकल्प का नतीजा है कि यह कोरोना रूपी अदृश्य दावन भारत में पैर पसाने के लिए झटपटा रहा है।
जवाब- जानबूझ कर गलती करोगे तो तुम भी मामा मारीच के तरह मारे जाओगे। इसलिए संकट को पहचानों और सजग हो जाओ। अदृश्य दानव कोरोना वाइरस (कोविड-19) ने भारत समेत विश्व के लगभग 200 से अधिक देशों में कोहराम मचा रखा है। जिन्होने इसकी गम्भीरता को नहीं समझा आज वो सब काल के मुहं में समा गये। कोरोना को मजाक में नहीं लिया जा सकता है। यह एक गभ्मीर समस्या है। यूरोपीय देश इस कोरोना रूपी अदृश्य दानव को लेकर बेपरवाह दिखे और लापरवाही बरती। जो काल साबित हुआ। ऐसे में हमें उनकी गलतियों से सबक लेते हुये। अपने घरों में रहना चाहिए। तभी हम कोरोना वाइरस की चेन को तोड़ सकने में कामयाब होंगे। इस अदृश्य दानव कोविड-19, से हमारे कोरोना वॅरियर्स मोर्चा ले रहे है और अपने लोगों की सुरक्षा एवं कोविड-19 के संहार के लिये एक अचूक उपाय भी ढूंढने में लगे हुये हैं। जिससे कोविड-19 का खात्मा किया जा सके। इतिहास गवाह है कि जब-जब भारत की धरती पर कोई असुरी शक्ति व अदृश्य शक्ति ने आतंक फैलाने का काम किया है। तो उसे काल के मुंह में समाना पड़ा है। कोरोना वाइरस के साथ भी ऐसा ही होने वाला है। अब उसका अन्त समीप ही है। हमें धैर्य और संयम दिखाने की जरूरत है। भारतीय के दृढ संकल्प का नतीजा है कि यह कोरोना रूपी अदृश्य दावन भारत में पैर पसाने के लिए झटपटा रहा है।
– संदीप पाल (जैसा संदीप पाल को फ़ोन पर बताया)