23 मार्च 1910 को उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में जन्मे समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया ने आजादी के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। देश आजाज हुआ तो कांग्रेस सरकार की नीतियों के सबसे मुखर आलोचक रहे। लोहिया को अपने समय का सबसे बेबाक नेता कहा जाता है। लोहिया राजनीति ही नहीं, निजी जिंदगी में भी बहुत बोल्ड थे।
लिव-इन में रहते थे लोहिया
50 और 60 के दशक में सार्वजनिक जीवन में रहते हुए कोई शख्स लिव-इन रिलेशन के बारे में शायद सोच भी नहीं सकता था। राम मनोहर लोहिया जीवन भर रमा मित्रा के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहे। दोनों बिना शादी किए साथ-साथ रहे। रमा मित्रा दिल्ली के मिरांडा हाउस में प्रोफेसर थीं। लोहिया न सिर्फ लिव-इन में रहते थे, बल्कि इसे उन्होंने ढकने-छुपाने की भी कोशिश नहीं की।
लोहिया के करीबी रहे और इस समय आरजेडी के सीनियर नेता शिवानंद तिवारी ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘लोहिया ने अपने संबंध को कभी छिपाकर नहीं रखा। उन्होंने जीवन भर अपने संबंध को निभाया और रमाजी ने तो उनके बाद भी इस रिश्ते का सम्मान रखा।”
रोमा सरकारी आवास में लोहिया के साथ ही रहती थीं
लेखक अयूब सैयद ने अपनी किताब ‘ट्वेंट ट्बुलेंट ईयर्सः इनसाइट्स इन टू इंडिय़न पॉलिटिक्स’ में 60 के दशक के नेताओं पर काफी कुछ लिखा है। किताब में उन्होंने एक घटना का जिक्र किया है। वो 1967 के लोकसभा चुनाव के दौरान लोहिया का इंटरव्यू लेने गए थे।
अयूब लिखते हैं, “सांसद होने के बाद राम मनोहर लोहिया को गुरुद्वारा रकाबगंज के पास सरकारी आवास मिला था। रोमा उसी घर में लोहिया के साथ रहती थीं। वो लोहिया के जिन मित्रों को जानती थीं, अक्सर उनसे मिलती भी थीं। जब मैं लोहिया जी का इंटरव्यू लेने गया तो पाया कि रोमाजी उनके साथ पत्नी की तरह ही रहती थीं।
लोहिया-रमा के लव लेटर पर छपी है किताब
लोहिया अपने राजनीतिक और समाजितक जीवन के चलते अक्सर रमा मित्रा से दूर भी रहते थे। ऐसे में दोनों के एक-दूसरे को खत लिखा करते थे। लोहिया खत में रमा को इला, इलू और इलुरानी लिखा करते थे। दोनों के प्रेम पत्रों की किताब भी प्रकाशित हुई है।
राम मनोहर लोहिया का 1967 में निधन हो गया। इसके कई साल बाद 1983 में रोमा मित्रा ने लोहिया के पत्रों पर एक किताब ‘लोहिया थ्रू लेटर्स’ प्रकाशित की। किताब में लोहिया के लवलेटर्स भी हैं। इसके 2 साल बाद 1985 में रोमा मित्रा का निधन हो गया।
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कैसे मिले थे लोहिया और रोमा
राम मनोहर लोहिया उत्तर प्रदेश तो रोमा मित्रा बंगाल से आती थीं। 30 के दशक में लोहिया जर्मनी के हमबोल्ट विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर रहे थे। इस दौरान रोमा भी विदेश में थीं, तभी दोनों की मुलाकात हुई थी। देश लौटकर दोनों ही आजादी की लड़ाई में कूद गए। जिसने दोनों को करीब ला दिया। दोनों के बीच प्रेम पनपा और फिर दोनों साथ रहने लगे।