लखनऊ

विध्वंस की स्मृति को पीछे छोड़ सृजन के सपने बुन रही रामनगरी

– 200 फीट के नीचे भुरभुरी बालू के कारण रुका काम मंदिर का निर्माण- रौनाही में दो मीनारों वाली अंडाकार मस्जिद की डिजायन तैयार- मस्जिद के ट्रस्ट में नहीं होगी सरकारी नुमाइंदगी, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

लखनऊDec 06, 2020 / 04:27 pm

नितिन श्रीवास्तव

विध्वंस की स्मृति को पीछे छोड़ सृजन के सपने बुन रही रामनगरी

अयोध्या. छह दिसंबर 1992 की तारीख ने भले ही हम सभी के जहन में अमिट छाप छोड़ी हो, पर 28 साल के लंबे सफर के बाद आज की तस्वीर पूरी तरह से बदल चुकी है। रामनगरी ध्वंस की यादें पीछे छोड़कर अब सृजन के सपने बुन रही है। भव्य मंदिर निर्माण की बाट जोह रही विहिप पहले ही ऐलान कर चुकी है कि अब शौर्य दिवस मनाने की कोई जरूरत नहीं। निर्णय आने के बाद मंदिर निर्माण ही सबसे बड़े शौर्य का पर्याय होगा। आज विवादित ढांचा ढहाए जाने की बरसी है। पहले की बरसी के मुकाबले इस बार 6 दिसंबर की पूर्व संध्या कहीं ज्यादा शांत नजर आई। दरअसल विवादित ढांचा गिराए जाने की घटना के बाद से ही हर साल 6 दिसंबर को जहां एक पक्ष शौर्य दिवस मनाता रहा है तो वही मस्जिद के दावेदार गम का इजहार करते रहे हैं। पर बीते साल से ही यहां बदलाव बयां होने लगा है।

 

मंदिर निर्माण की तैयारियों के बीच रामलला के प्रति उत्सुकता में न केवल वृद्धि हुई है, बल्कि राम भक्तों के रुख रुझान में भी तब्दीली आई है। जिस मंदिर-मस्जिद विवाद के चलते रामनगरी ध्वंस के सनसनीखेज कांड से गुजरी, उस विवाद को पीछे छोड़कर अयोध्या अब नये सपने संजोये आकाश की ओर उड़ान भर रही है। बीते साल 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद न केवल भव्य राम मंदिर की तैयारी है बल्कि दिव्य अयोध्या का भी खाका खींचा जा रहा है।

 

मजबूत नींव पर फंसा पेंच

श्रीरामजन्मभूमि पर हजार साल तक अक्षुण्ण रहने वाले भव्य राममंदिर निर्माण शुरू करने से पहले इंजीनियरों का कई मुश्किलों से सामना हो रहा है। राम मंदिर के दो सौ फीट नीचे तक खुदाई में भुरभुरी बालू मिलने से मजबूत नींव तैयार करने पर कई पेंच फंस गये हैं। सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) रुड़की ने अपनी रिपोर्ट में सरयू की किनारा और भुरभुरी बालू को लेकर रिपोर्ट दी है, इसके बाद आईआईटी चेन्नई हर तूफान, भूकंप आदि में मजबूत नींव न हिले, ऐसी तकनीकी आधार बनाने में जुटी है।

 

श्रीरामजजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की ओर देश के तमाम शीर्ष संत-धर्माचार्यों को भेजे जा रहे संदेश से यह तथ्य सामने आया है। दरअसल नींव निर्माण में हो रही देरी पर कई संतों ने ट्रस्ट से जानना चाहा है कि इसकी वजह क्या है। अभी तक मंदिर का निर्माण क्यों नही हो पा रहा। इसके जवाब में चंपत राय का एक मैसेज वायरल हुआ है, जिसमें उन्होंने देश के शीर्ष संतों को स्थिति स्पष्ट करते हुए लिखा है कि सरयू नदी के पास मंदिर का निर्माण होने के चलते और भूमि के नीचे दो सौ फीट गहराई तक भुरभुरी बालू होने के कारण मजबूत नींव की डाइंग पर इंजीनियर आपस में चर्चा कर रहे हैं। सामूहिक निर्णय के पश्चात नींव के निर्माण का कार्य शीघ्र प्रारंभ हो सकेगा।

 

रौनाही में दो मीनारों वाली अंडाकार मस्जिद की डिजाइन तैयार

अयोध्या के बनने वाली मस्जिद का खाका तैयार कर लिया गया है। इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट ने मस्जिद का जो डिजायन तैयार कराया है, उसके मुताबिक मस्जिद दो मीनारों वाली अंडाकार आकार में होगी। इसके अलावा दो हजार लोग परिसर में एक साथ नमाज अदा कर सकेंगे। जामिया मिलिया इस्लामिया में आर्किटेक्टर विभाग के अधयक्ष प्रोफेसर एसएम अख्तर को डिजायन बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी। मस्जिद में रोशनी की व्यवस्था सौर ऊर्जा के माध्यम से होगी, यही नहीं, जल संरक्षण की भी व्यवस्था होगी।

 

मस्जिद के ट्रस्ट में नहीं होगी सरकारी नुमाइंदगी, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

अयोध्या में पांच एकड़ जमीन पर मस्जिद निर्माण के लिए बनाई गई कमेटी में कोई भी सरकारी कर्मचारी शामिल नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद निर्माण के लिए गठित कमेटी में सरकार के लोगों को शामिल करने की मांग वाली जनहित याचिका को सिरे से खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया है। मस्जिद निर्माण के लिए इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट नाम से कमेटी बनाई गई है। इसमें सभी सदस्य वकफ बोर्ड के सदस्य शामिल हैं।आपको बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड को राम मंदिर की जमीन के बदले मे अलग जमीन दी है। जहां मस्जिद बनाई जाएगी।

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