उत्तर भारत में राखी का पर्व काफी उत्साह पूर्वक मनाया जाता है। खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में जहां बहने अपने भाइयों को टीका लगाने के बाद राखी बांधती हैं। बदले भाई उन्हें कुछ उपहार भेंट करते हैं। वहीं जम्मू कश्मीर में लोग इस दिन पतंग उड़ाकर इस पर्व को मनाते हैं। हरियाणा में इस पर्व को एक विशेष नाम दिया गया है ‘सालोनो’। यहां इस पर्व की शुरुआत मंदिर में जाकर होती है जहां मंदिर का पुजारी भाई की कलाई में पवित्र धागे को उसकी रक्षा के लिए बांधता है और फिर बाद में बहने अपने भाइयो को राखी बांधती हैं।
गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा जैसे क्षेत्रों में यह पर्व काफी महत्वपूर्ण माना जाता है खासकर के मछुवारों के लिए। क्योकि, मॉनसून कमजोर पड़ने पर समुद्र की लहरे शांत होने लगती हैं। इसकी वजह से यह उनके लिए नए फिशिंग सीजन के रूप में शुरू होता है, जिसके प्रारूप मछुवारे समुद्र में नारियल को डाल के भगवान वरुण (hindu rain god) को समर्पित करते हैं।
गुजरात में इस दिन लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो इस दिन भगवान शिव की पूजा करता है, उसके सारे पाप मिट जाते हैं। पावित्रोपण पवित्रास से मिले बना है जिसने कपास के रेशों को कास (एक प्रकार की घास) से जोड़ने के पश्चात इसे पंचगव्या (गाय का घी, दूध, दही, गोबर, गोमूत्र) में मिलाया जाता है और फिर इस धागे को शिवलिंग के चारो ओर बांधा जाता है।
असम और त्रिपुरा में इसे काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है, क्योंकि इन राज्यों में रहने वाले हिंदुओ की संख्या अच्छी खासी है। पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों में भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा की जाती है, जिसे झूलन यात्रा के नाम से भी जानते हैं। यह पर्व वैष्णव धर्म को मानने वालो के लिए बहुत ही विशेष माना जाता है।
दक्षिण भारत में इस पर्व पे ब्राह्मण अपने पवित्र धागे(जनेऊ) को स्नान करने के पश्चात बदलते हैं। माना जाता है कि इस प्रथा से एक प्रकार का प्रायश्चित करते हैं, और एकगरिमामयी जीवन जीने की संकल्पना लेते हैं। ब्रह्मांड इस दिन यजुर्वेद (yajur veda) ka अध्यन करता है।
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रिपोर्ट- महिमा सोनी