ये भी पढ़ें- राहुल गांधी को अमेठी दौरे से पहले योगी के मंत्री ने दिया बड़ा बयान, कहां – वायनाड में भी…. 1. बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) को दिया था झटका- कल्याण सिंह (Kalyan Singh) के नेतृत्व में यूपी में भाजपा और बसपा की गठबंधन की सरकार बनी थी। लेकिन कुछ ही समय बाद बसपा (BSP) ने भाजपा से समर्थन वापस ले लिया था। इस बीच सरकार गिरने की कगार पर थी, लेकिन राजनाथ सिंह ने ऐसा होने नहीं दिया। उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता और राजनीतिक कौशल का परिचय दिया और बसपा के 20 व कांग्रेस के भी करीब इतने ही विधायकों को अपने पाले में ले लिया। उन्होंने अधिकतर बसपा व कांग्रेस के क्षत्रिय नेताओं को तोड़ा था। जिसके बाद यूपी में भाजपा की सरकार गिरने से बच गई। इस घटना के बाद राजनाथ सिंह का राजनीतिक कद और बढ़ गया।
ये भी पढ़ें- रामशंकर कठेरिया का बड़ा ऐलान, सपा के गढ़ में विकास कार्यों पर कही बड़ी बात 2. सरकार में रहकर सरकार की बुराई करने वाले को किया मंत्रीपरिषद से बाहर- सन् 2000 में जब राजनाथ सिंह यूपी के मुख्यमंत्री बने, तो सरकार को सहयोग देने वाले कुछ राजनीतिक दल अपनी मौजूदगी को महत्व देते व अपना ही हित आगे रखते। इनमें से एक थे लोकतांत्रिक कांग्रेस के नेता नरेश अग्रवाल (Naresh Agarwal) जो समय-समय पर सरकार से गठबंधन खींचकर सरकार गिराने की धमकी देते थे। कल्याण सिंह से लेकर रामप्रकाश गुप्त उनके इस रवैये से बहुत नाराज थे। जैसा कि हाल में ओमप्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) का रवैया था। नरेश अग्रवाल का परिणाम भी कुछ राजभर की तरह ही था। उस दौरान ऊर्जा विभाग में मनमानी की ख़बरें खूब चर्चा में रहती थीं। और नरेश अग्रवाल इसको लेकर सरकार पर खूब निशाना साधते थे, लेकिन गठबंधन के कारण उन पर कार्यवाई करना मुश्किल था। आला कमान ने कई बार नरेश अग्रवाल के साथ मीटिंग की, उन्हें समझाने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं माने। नरेश यहां तक मुख्यमंत्री को भी दोषी ठहराना लगे थे। फिर वह दिन आया जब सब्र का बांध टूट चुका था और राजनाथ सिंह ने बड़ा फैसला लिया। हरिद्वार में नरेश अग्रवाल ने पार्टी सम्मेलन में भाजपा के खिलाफ खुलकर सड़कों पर आने की चेतावनी दे डाली। बस यही पर राजनाथ सिंह ने तत्काल नरेश अग्रवाल को मंत्रिपरिषद् से बर्खास्त कर दिया । जिसकी जानकारी उन्होंने खुद नरेश अग्रवाल को फोन कर दी। इस कठोर निर्णय के बाद राजनाथ प्रदेश की जनता के हीरो बन गए।
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4. वहीं सीएम रहते हुए राजनाथ सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान अति पिछड़े वर्ग को आरक्षण में आरक्षण दिए जाने का ऐलान किया। इस ऐलान के विरोध में तत्कालीन पर्यटन मंत्री अशोक यादव अदालत चले गए थे। उनके इस फैसले पर आखिरकार राजनाथ सिंह ने जवाब दिया और उनसे मंत्री पद छीन लिया गया।