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लखनऊ

UP Crime: जिस माफिया ने 17 साल तक नहीं किया सरेंडर, योगी राज में उसे सताया एनकाउंटर का डर

UP Crime: जिस माफिया राजन तिवारी की एक जमाने में तूती बोलती थी,आज वह अपनी जिंदगी की भीख मांग रहा है।

लखनऊMay 12, 2023 / 01:54 pm

Prashant Tiwari

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माफिया राजन तिवारी

उत्तर प्रदेश STF ने जब से प्रदेश के 61 माफियाओं की लिस्ट जारी की है। इन माफियाओं के होश उड़े हुए है। अप्रैल में आदित्य राणा, असद अहमद, गुलाम का एनकाउंटर हो या अतीक-अशरफ की हत्या और मई में अनिल दुर्जाना का एनकाउंटर, इन घटनाओं के बाद इन माफियाओं की जान हलक में आ गई है।
ऐसा ही एक माफिया राजन तिवारी भी है। यह वहीं, राजन तिवारी है जिसने अपराध की दुनिया से लेकर माननीय बनने तक का सफर तय किया। जिसकी एक जमाने में तूती बोलती थी,आज वह अपनी जिंदगी की भीख मांग रहा है। तो आइए जानते है कि कैसे गोरखपुर विश्वविद्यालय में पढ़ने वाला लड़का जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया और अब अपनी एनकाउंटर होने के डर में जी रहा है।
श्रीप्रकाश शुक्ला के गैंग से जुड़ा राजन
90 के दशक में प्रदेश में गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला के नाम का आतंक था। लोग उसके नाम से भी डरते थे। राजन भी उसी गैंग का एक सदस्य था। 1998 में पहली बार कैंट थाने में कुख्यात गैंगस्टर शूटर श्रीप्रकाश शुक्ला, पूर्व विधायक राजन तिवारी, अनुज सिंह सहित 4 माफियाओं के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई हुई थी। राजन पर र 25 हजार का इनाम रखा गया। लेकिन वह पुलिस के पकड़ में नहीं आया।
गैर-जमानती वारंट जारी होने के 17 साल तक नहीं किया सरेंडर
दिसंबर 2005 में यूपी की एक कोर्ट ने राजन तिवारी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट निकाल दिया। उसके बाद भी वो करीब 17 साल तक पुलिस उसे पकड़ नहीं पाई। साल 2022 के अगस्त महीने में उसे यूपी पुलिस ने तब घेर लिया, जब वब बिहार के रास्ते नेपाल भागने की कोशिश कर रहा था। तब से वह UP पुलिस की गिरफ्त में है और उसे तभी से लगातार अपनी जान का खतरा बना हुआ है।
वीरेंद्र प्रताप शाही हत्याकांड में आया था नाम
मीडिया में मौजूद जानकारी के मुताबिक राजन तिवारी के दो भाइयों के साथ गोरखपुर में रहता था। वहीं से उसने पढ़ाई की। गोरखपुर विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव के दौरान अध्यक्ष प्रत्याशी के समर्थन में राजन ने जमकर बवाल काटा था। मगर, अपराध की दुनिया में उसकी खुलकर चर्चा तब हुई हुई, जब 24 अक्टूबर 1996 को गोरखपुर कैंट से विधायक रहे वीरेंद्र प्रताप शाही हत्याकांड में उसका नाम आया।
इसके बाद उसने फिर कभी मुड़कर वापस नहीं देखा और लगातार जरायम की दुनिया में आगे बढ़ता चला गया और एक वक्त के बाद विधायक बनने में भी कामयाब हो गया।

भाजपा में शामिल होकर सांसद बनना चाहता था राजन
माफिया राजन तिवारी पर 8 से ज्यादा तो कत्ल के ही मुकदमे हैं। इसके अलावा बाकी बची करीब 35-40 मुकदमों की संख्या में अपहरण, रंगदारी वसूली से लेकर अन्य तमाम संगीन धाराएं लगी हैं। वह कभी भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर सांसद बनना चाहता था इसके लिए वह 2019 में भाजपा में शामिल भी हुआ। लेकिन विरोध के बाद पार्टी ने उससे किनारा कर लिया। जिस पार्टी से वह देश की सबसे बड़ी पंचायत में जाना चाहता था। आज उसे उसी पार्टी की सरकार में अपने जान पर खतरा महसूस हो रहा है।
गिरफ्तारी के डर से भागा बिहार
एक वक्त ऐसा भी आया जब राजन अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए बिहार के पूर्वी चंपारण में पहुंचा तो उसके खौफ का सिक्का वहां भी चलने लगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तो इसका नाम कई साल पहले बिहार के मंत्री बृज बिहारी प्रसाद के कत्ल में भी खूब उछला था। उस मामले में राजन तिवारी को निचली अदालत ने मुजरिम करार देते हुए उम्रकैद की सजा मुकर्रर कर दी, जिसमें बाद में उसे पटना हाईकोर्ट ने बरी कर दिया। राजन तिवारी का नाम माकपा विधायक अजीत सरकार हत्याकांड में भी खूब उछल चुका है, बाद में पटना हाईकोर्ट से उसमें भी वो बरी कर दिया गया।
काठमांडू जाने के दौरान बॉडर से हुई गिरफ्तारी
बाहुबली पूर्व विधायक राजन तिवारी को यूपी पुलिस ने हरैया पुलिस के सहयोग से अगस्त 2022 में नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार किया । गिरफ्तार पूर्व विधायक राजन तिवारी को गिरफ्तारी के बाद पुलिस उसे UP लेकर आई। राजन तिवारी 2005 में गोविंदगंज विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक रह चुका हैं।

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