लॉकडाउन के दौरान बंद थी यात्री ट्रेनें गौरतलब है कि पिछले वर्ष लॉकडाउन के समय से यात्री ट्रेनों की चाल पर ग्रहण लग गया था। स्थिति सुधरी तो बंद पड़ी ट्रेनों को दोबारा शुरू किया गया लेकिन कोरोना की दूसरी लहर की दस्तक के साथ ही एक बार फिर यात्री ट्रेन पर पूर्णविराम लग गया। हालांकि, मालगाड़ियों पर अंकुश नहीं रहा। मालगाड़ियों से एक राज्य से दूसरे राज्य सामान पहुंचाना शामिल रहा। इस वर्ष कोविड संक्रमण में 70 फीसद यात्री ट्रेनें दौड़ रहीं हैं बावजूद इसके मालगाडिय़ों के संचालन को समयबद्धता और आय की कसौटी पर रेलवे ने बेहतर किया है।
मालभाड़े से कमाई यूपी सीमेंट डीलर्स के प्रदेश अध्यक्ष निखिलेश दुबे ने कहा है कि यात्री ट्रेनों से आय न के बराबर हो रही है। लेकिन सामान तो पहुंचाना ही है। छत्तीसगढ़ और झारखंड से सीमेंट आता है। माल अब 28 घंटे की जगह 22 घंटे में पहुंच रहा है। ट्रेनों का संचालन कम होना भी इसका एक कारण है। ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे को 100 रुपये कमाने के लिए 98 से 99 रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं। ऐसे में रेलवे ने मालभाड़े पर ध्यान देना शुरू कर दिया है, ताकि आय बढ़ सके।
यात्रियों की संख्या में 92.1 फीसदी कमी ट्रेनों के परिचालन से यात्रियों की संख्या में भारी कमी देखी गई है। पिछले वित्त वर्ष की तुलना में इस वित्त वर्ष में जनवरी माह तक यात्रियों की संख्या में 92.1 फीसद की कमी हुई है। यानी पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष जनवरी तक आठ फीसद से भी कम यात्रियों ने सफर किया है। यात्री रेलवे को करोड़ों का नुकसान हुआ है। इस वर्ष जनवरी माह में यात्रियों की संख्या 0.45 करोड़ रही। इसमें प्राप्त किराया 305.45 करोड़ रुपये रहा। जबकि पिछले वर्ष जनवरी में यात्रियों की संख्या 2.35 करोड़ रही और इसमें प्राप्त किराया 465.04 करोड़ रुपये रहा। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष जनवरी में यात्रियों की संख्या में 80.9 फीसद व आमदनी में 34.3 फीसद की कमी रही है।