उत्तर प्रदेश में मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है। लेकिन, कांग्रेस ने यूपी में मुस्लिम लीडरशिप को नजऱअंदाज़ किया है। सलमान खुर्शीद पार्टी के बड़े नेताओं में शुमार किए जाते हैं, लेकिन इन्हें जगह नहीं मिली है। कार्यसमिति के 23 सदस्यों में से सिर्फ तीन मुसलमानों की जगह मिली है। इसमें भी उप्र से कोई नहीं है। मुस्लिम महिला के रूप में पहले मोहसिना किदवई सदस्य थीं लेकिन इस बार उन्हें भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
महिलाओं के प्रतिनिधित्व के नाम पर समिति में सोनिया गांधी समेत कुल सात को शामिल किया गया है। यानी 15 प्रतिशत से भी कम। जबकि, राहुल गांधी महिला आरक्षण की बात करते रहे हैं। उप्र में तो कांग्रेस महिला अध्यक्ष का पद महीनों से खाली चल रहा है। सबसे बड़ी आबादी वाले प्रदेश से सोनिया गांधी को छोड़ दें तो एक भी महिला प्रतिनिधि नहीं है।
राहुल गांधी ने अपनी कार्यसमिति में युवा चेहरों को मौका दिया है। उत्तर प्रदेश से जितिन प्रसाद को स्पेशल इन्वाइटी बनाया गया है। इन्हें पहली बार सीडब्ल्यूसी में शामिल किया गया है। राहुल की समिति में दलित आंदोलन की परछाई भी साफ दिख रही है। कुल चार दलित चेहरों में उप्र से पीएल पुनिया को भी मौका दिया गया है।
कांग्रेस के असंतुष्ट धड़े का कहना है कि राहुल गांधी ने सीडब्ल्यूसी के गठन में जनाधार वाले नेताओं की उपेक्षा की है। पीएल पुनिया और जितिन प्रसाद को छोड़ दें तो समिति में शामिल उप्र के अन्य नेताओं का कोई बड़ा जनाधार नहीं है। न ही इनकर उप्र में बड़ा काम दिखता है। आरपीएन सिंह लंबे समय से कांग्रेस में जुड़े रहे हैं लेकिन पूर्वांचल जहां से वे आते हैं वहां का भी एक दमदार मुद्दा अब तक नहीं उठा पाए हैं। यही हाल अनुग्रह नारायण सिंह और केशव चंद्र यादव का भी है।