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यूपी में दलित, ओबीसी और ब्राह्मण को तवज्जो, मुस्लिमों से किनारा, ये है राहुल गांधी की नई टीम

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को टक्कर देने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी सेना तैयार कर ली है…

लखनऊJul 18, 2018 / 05:20 pm

Hariom Dwivedi

Rahul Gandhi

यूपी में दलित, ओबीसी और ब्राह्मण को तवज्जो, मुस्लिमों से किनारा, ये है राहुल गांधी की नई टीम

महेंद्र प्रताप सिंह
लखनऊ. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को टक्कर देने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी सेना तैयार कर ली है। पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारण संस्था यानी कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) का पुनर्गठन किया गया है। इसमें उप्र से कुल छह सदस्यों को शामिल किया गया है। कांग्रेस उप्र में पिछड़ों, ब्राह्मणों और दलितों का विश्वास फिर से जीतने की फिराक में है। इसलिए इन जातियों को ज्यादा तरजीह दी गयी है।
राहुल गांधी की कांग्रेस वर्किंग कमेटी में कुल 51 सदस्य हैं। इनमें 23 सदस्य, 18 स्थायी सदस्य और 10 विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए गए हैं। सीडब्लूसी में युवा और दलित चेहरों को ख़ास जगह दी गई है। वहीं बुजुर्ग और पुराने चेहरों को अलविदा कर दिया गया है। राहुल गांधी ने ब्राह्मण चेहरे के तौर पर जितिन प्रसाद पर भरोसा जताया है। जबकि कद्दावर नेता और सांसद प्रमोद तिवारी व जर्नादन द्विवेदी को निराश होना पड़ा है। उप्र से जिन और नेताओं पर विश्वास जताया गया है उनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह, बाराबंकी से सांसद रह चुके पीएल पुनिया, पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह को सीडब्ल्यूसी में जगह दी गयी है। इसके अलावा नए चेहरे को रूप में देवरिया निवासी और यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव चंद्र यादव को भी भी जगह मिली है। यह पिछड़ी जाति से आते हैं। इसके अलावा खुद राहुल गांधी और सोनिया गांधी उप्र से ही हैं।
मुस्लिमों को खास तवज्जो नहीं
उत्तर प्रदेश में मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है। लेकिन, कांग्रेस ने यूपी में मुस्लिम लीडरशिप को नजऱअंदाज़ किया है। सलमान खुर्शीद पार्टी के बड़े नेताओं में शुमार किए जाते हैं, लेकिन इन्हें जगह नहीं मिली है। कार्यसमिति के 23 सदस्यों में से सिर्फ तीन मुसलमानों की जगह मिली है। इसमें भी उप्र से कोई नहीं है। मुस्लिम महिला के रूप में पहले मोहसिना किदवई सदस्य थीं लेकिन इस बार उन्हें भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
महिलाओं को किया निराश
महिलाओं के प्रतिनिधित्व के नाम पर समिति में सोनिया गांधी समेत कुल सात को शामिल किया गया है। यानी 15 प्रतिशत से भी कम। जबकि, राहुल गांधी महिला आरक्षण की बात करते रहे हैं। उप्र में तो कांग्रेस महिला अध्यक्ष का पद महीनों से खाली चल रहा है। सबसे बड़ी आबादी वाले प्रदेश से सोनिया गांधी को छोड़ दें तो एक भी महिला प्रतिनिधि नहीं है।
दलितों और ब्राह्मणों को साधने की कोशिश
राहुल गांधी ने अपनी कार्यसमिति में युवा चेहरों को मौका दिया है। उत्तर प्रदेश से जितिन प्रसाद को स्पेशल इन्वाइटी बनाया गया है। इन्हें पहली बार सीडब्ल्यूसी में शामिल किया गया है। राहुल की समिति में दलित आंदोलन की परछाई भी साफ दिख रही है। कुल चार दलित चेहरों में उप्र से पीएल पुनिया को भी मौका दिया गया है।
जनाधार वाले नेताओं की उपेक्षा
कांग्रेस के असंतुष्ट धड़े का कहना है कि राहुल गांधी ने सीडब्ल्यूसी के गठन में जनाधार वाले नेताओं की उपेक्षा की है। पीएल पुनिया और जितिन प्रसाद को छोड़ दें तो समिति में शामिल उप्र के अन्य नेताओं का कोई बड़ा जनाधार नहीं है। न ही इनकर उप्र में बड़ा काम दिखता है। आरपीएन सिंह लंबे समय से कांग्रेस में जुड़े रहे हैं लेकिन पूर्वांचल जहां से वे आते हैं वहां का भी एक दमदार मुद्दा अब तक नहीं उठा पाए हैं। यही हाल अनुग्रह नारायण सिंह और केशव चंद्र यादव का भी है।

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