अक्सर सुनने में मिलता है कि राजा भैया के कोठी के पीछे 600 बीघे का तलाब है, जिसमें वह लोगों के मरवाकर उसी में फिकवा देते हैं। कभी कभी नर कंकाल भी देखने को मिलती हैं। ऐसा किवदंतियों पर राजा भइया कहते हैं कि 600 बीघे के तालाब को खोद देना असंभव है। तालाब के पास हैं गंगा जी। गरीब लोग अंतिम संस्कार का खर्च नहीं उठा पाते। ऐसे में वो गंगा जी में पार्थिव शरीर को प्रवाहित कर देते हैं। गंगा जी का रास्ता बदलता रहता है। ऐसे में गंगा जी के पास बालू में कोई ना कोई हड्डी या नरकंकाल मिल ही जाएगा। अभी भी मिल जाएगा। ये कोई ऐसी दुर्लभ चीज नहीं है। फंसाने मात्र के लिए हड्डियां ले आए। इस तरह का तमाशा था।
यह भी पढ़े – शस्त्रों के हैं शौकीन तो माउजर, पिस्टल और रिवॉल्वर में जान लीजिए क्या है फर्क इंदिरा गांधी ने कुंडा में क्यों भेजा था सैन्य दल पिता राजा उदय प्रताप सिंह ने विश्व हिंदू परिषद का दामन थाम लिया। जिसकी वजह से गांधी परिवार और उदय प्रताप सिंह के बीच मतभेद और मनभेद दोनों खुलकर सामने आए। राजा भैया के कुंडा की सीमा गांधी परिवार की सियासी कर्मभूमि रायबरेली से जुड़ती है, इसलिए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कुंडा पर बहुत ध्यान देती थीं। गांधी परिवार से राजा उदय के रिश्ते खराब होते गए। फिर एक दिन राजा उदय प्रताप ने भदरी रियासत को स्वतंत्र राज्य घोषित कर दिया। उदय प्रताप के वर्चस्व की वजह से प्रशासन उन्हें नियंत्रित नहीं कर सका। जिसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कुंडा में सैन्य दल भेज दिया था। तभी से भदरी रियासत और राजा भैया का परिवार हमेशा के लिए कांग्रेस से दूर हो गया।
यह भी पढ़े – क्या आप भी जानते हैं चीटियां भी होती हैं बीमार, जानिए कैसे करती हैं अपना इलाज क्या कुंडा में कम हो रहा राजा भैया का तिलिस्म राजा भैया ने पहली बार 1993 में कुंडा से चुनाव लड़ा था और वह सबसे कम उम्र के विधायक बने। तभी से वो लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। इस दौरान उन्हें कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा, जब मायावती से राजनीतिक अदावत के चलते उन्हें लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा। विधानसभा चुना में सपा प्रत्याशी के साथ हुई उठा-पटक पर जो हुआ और जीत के मार्जिन के बाद लोगों से सुनने को मिला कि अब राजा भैया का दबदबा कम होता जा रहा है।