कैंसर के लेवल से तय होगी फ्रीक्वेंसी अमेरिकी टीम के इस शोध पर केजीएमयू के कैंसर स्पेशलिस्टों का कहना है कि यह थेरेपी कामयाब और बेहद सुरक्षित है। मरीज के कैंसर के प्रकार और स्थिति के हिसाब से रेडियो फ्रीक्वेंसी तय की जाती है। इसके लिए हथ में पकड़ा जाने वाला एक उपकरण भी होगा। जो कैंसर के हिसाब से फ्रीक्वेंसी छोड़ता है। इस शोध पर केजीएमयू के डॉक्टरों ने अध्ययन के बाद पाया कि यह रेडियो तरंग एचसीसी ट्यूमर कोशिकाओं की सतह पर विशेष कैल्शियम चैनल को सक्रिय कर देती है, जो उस कैंसर कोशिका को फैलने से रोकने में मदद करता है। इस थेरेपी के जरिये शरीर में कैंसर के सेल्स और ट्यूमर को खत्म किया जा सकेगा। कैंसर के इलाज में रेडियेशन थेरेपी का योगदान होता है। इस थेरेपी में सीएवी 3.2 विशिष्ट कैल्शियम चैनल रेडियो संकेतों के लिए एंटीना की तरह काम करता है। कैल्शियम चैनल एचसीसी झिल्ली में जाकर एचसीसी को बढ़ने से रोकता है।
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दो प्रकार से दी जा सकती है थेरेपी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर सुधीर ने बताया कि यह रेडिएशन थैरेपी बाह्य रूप से एक्स रे बीम्स, गामा किरणों या सब एटॉमिक पार्टिकल्स के रूप में दी जाती है। रेडिएशन देने में 5 से 15 मिनट लगते हैं और इसमें बिल्कुल दर्द नहीं होता। रेडिएशन थरेपी बाहरी और आंतरिक दो प्रकार की होती है।बाहरी रेडिएशन थेरेपी इसमें एक मशीन से कैंसर की कोशिकाओं पर हाई फ्रीक्वेंसी रेडियेशन डाला जाता है। कैंसर के इलाज के लिए यह सबसे सामान्य तरीका है। शरीर में एक निशान लगाकर उसी जगह से बार बार इलाज दिया जाता है। यह इलाज 6 या 7 हफ्तों तक चलता है। पहली बार में इसमें कुछ घंटे लग सकते हैं, लेकिन उसके बाद इलाज में सिर्फ कुछ मिनट लगते हैं।
आंतरिक रेडियेशन थेरेपी आंतरिक रेडिएशन थेरेपी में शरीर के भीतर या कैंसर कोशिकाओं के पास डाला जाता है। इस थेरेपी में शरीर के अंदर पतले तार, प्लास्टिक ट्यूब या कैप्सूल की मदद से थेरेपी दी जाती है।
थेरेपी के साइड इफेक्ट मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर नसीम जमाल ने बताया कि रेडिएशन थैरेपी में कैंसर कोशिकाओं और सामान्य कोशिकाओं दोनों पर प्रभाव पड़ता है। सामान्य कोशिकाओं पर साइड इफेक्ट होने पर थकान महसूस करना, मितली आना, उल्टी और त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। ये साइड इफेक्ट इलाज के बाद खत्म हो जाते हैं। अगर इलाज के बाद भी ये ठीक नहीं हुए तो आप डॉक्टर से संपंर्क करें।