एक सर्वेक्षण के आधार पर, परियोजना क्षेत्रों में 8.58 क्विंटल प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन में वृद्धि हुई है। लगभग 48.53 प्रतिशत आय में वृद्धि देखी गई और भूगर्भ जल स्तर में 1.42 मीटर की वृद्धि परिलक्षित हुई। जैविक क्लस्टर को बढ़ावा देने की नीति के अंतर्गत, वर्ष 2021-22 तक 4784 क्लस्टरों (95,680 हेक्टेयर) से 1.75 लाख किसानों को जोड़ा गया है। इनमे, नमामि गंगे योजना के तहत 3309 क्लस्टर, पीकेवीवाई में 1195 क्लस्टर व हमीरपुर जैविक खेती योजना में 280 क्लस्टर हैं। इनमे योजना के अंतर्गत भूमि का क्षेत्रफल लगभग 95,680 हेक्टेयर है। इस नीति में तीन-वर्षीय कार्यक्रम के अंतर्गत, एक क्लस्टर में लगभग 50 किसान जोड़े जाते हैं, और प्रति क्लस्टर तीन वित्तीय वर्ष के लिए 10 लाख रूपये का प्रावधान है।
सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि कार्ययोजना के अंतर्गत, केंद्र द्वारा संवर्धित मिशन प्राकृतिक खेती के अंतर्गत भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति योजना को प्रदेश के 35 जनपदों में लागू किया जाएगा, जिसके लिए विकास खंड स्तर पर 500 से 1000 हेक्टेयर क्षेत्रफल के क्लस्टर का गठन होगा। यह योजना खरीफ 2022 से शुरू की जाएगी और इस पर 82.83 करोड़ रुपये (केंद्र पोषित) खर्च किये जाएंगे। बुंदेलखंड के समस्त जनपदों में गौ आधारित प्राकृतिक खेती का क्रियान्वयन भी तेज किया जाना का लक्ष्य रखा गया है, और मई माह में राज्य-स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा।
पराली प्रबंधन के क्षेत्र में भी उत्तर प्रदेश में उल्लेखनीय काम किया गया है। किसानों को इससे राहत देने के लिए सरकार ने कई कदम उठाये। पिछले पांच वर्षों में प्रति लाख हेक्टेयर धान क्षेत्रफल में पराली जलाने की औसत घटनाओं की संख्या उत्तर प्रदेश में मात्र 71, व उप्र-एनसीआर क्षेत्र में 132 दर्ज की गईं। इसके अपेक्षा, पंजाब में यह संख्या 2264 व हरियाणा में 452 दर्ज की गई थी। राज्य में पराली को गौशालाओं में चारे के रूप में आपूर्ति किये जाने के लिए पराली दो, खाद लो अभियान भी सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है।