लखनऊ

उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या की पहल, उत्तर प्रदेश की प्रत्येक ग्राम पंचायत में बारात घर और अंन्तेष्टि स्थल बनाए जाने की तैयारी

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की पहल और उनकी दूरगामी सोच पर उत्तर प्रदेश की सभी 58189 ग्राम पंचायतों में बारात घर और अन्तेष्टि स्थल बनाए का मसौदा तैयार किया गया है और इसका प्रस्ताव बनाकर वित्त विभाग को प्रेषित किया गया है।

लखनऊJun 11, 2022 / 05:14 pm

Karishma Lalwani

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उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की पहल और उनकी दूरगामी सोच पर उत्तर प्रदेश की सभी 58189 ग्राम पंचायतों में बारात घर और अन्तेष्टि स्थल बनाए का मसौदा तैयार किया गया है और इसका प्रस्ताव बनाकर वित्त विभाग को प्रेषित किया गया है। प्रत्येक बारात घर की लागत 30 लाख रुपये और अंत्येष्टि स्थल की लागत 24 लाख 36 हजार रुपये आंकलित की गई है। इस तरह 58189 ग्राम पंचायतों में बारात घर बनाने में 17456.70 करोड़ और अंत्येष्टि स्थल बनाए जाने में रू 14174.84 करोड़ की धनराशि व्यय होगी। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बताया कि बारात घर और अन्तेष्टि स्थल तक सुगमता से पहुंचने के लिए मार्ग बनाए जाने की भी व्यवस्था की जाएगी और वहां पर सामुदायिक शौचालय बनवाने जाने और प्रकाश की भी व्यवस्था जैसी अवस्थापना सुविधाओं का भी विकास किया जाएगा।
बारात घरों का निर्माण करवाया जाना अनिवार्य

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि जिलों और विभिन्न क्षेत्रों के उनके भ्रमण के दौरान आम जनता और जनप्रतिनिधियों द्वारा बारात घर और अंन्तेष्टि स्थल बनवाने की मांग की जाती है और इस तरह के सुझाव भी दिए जाते है। मौर्य ने कहा कि जनमानस की परेशानियों के दृष्टिगत यह प्रस्ताव तैयार किया गया है और वर्तमान समय की ग्रामीण जनता की वास्तविक आवश्यकता भी है,क्योंकि पहले जिन घरों के सामने काफी जगह पड़ी रहती थी। वहां बारातों के ठहरने व ग्रामीण संस्कृति से जुड़े विभिन्न परम्परागत कार्यक्रम आसानी से होते रहते थे।
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बढ़ती आबादी के चलते वहां पर आवासीय स्थल बन गये,परिणाम स्वरूप गांवों में अब खुले स्थानों की अपेक्षाकृत कमी हुयी है और आम लोगों विभिन्न आयोजनों के लिए कवर्ड एरिया भी बहुत ही कम है। प्राइमरी स्कूलों में भी बारातो आदि के ठहराने पर रोक भी लाजिमी है क्योंकि इससे शिक्षा व्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। ऐसे में गांवों में बारात घरों का निर्माण किया जाना आज की अनिवार्य आवश्यकता है और यह औचित्यपूर्ण भी है।

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