प्रियंका गांधी ने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि खबरों के अनुसार श्रीराम मंदिर निर्माण ट्रस्ट द्वारा एक जमीन की खरीददारी में घपला हुआ है। अयोध्या की एक जमीन को 18 मार्च 2021 को दो लोग 2 करोड़ रुपए में खरीदते हैं और सिर्फ 5 मिनट के बाद ट्रस्ट की ओर से इसे 18.5 करोड़ रुपये में खरीद लिया जाता है। यानी जमीन की कीमत 5.5 लाख रुपये प्रति सेकेंड की दर से बढ़ गई। क्या इस पर कोई विश्वास कर सकता है? मत भूलिए, यह सारा पैसा हिंदुस्तान की जनता द्वारा मंदिर निर्माण के दान और चढ़ावे के रूप में दिया गया था।
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सर्किल रेट में आज भी जमीन का मूल्य पांच करोड़
उत्तर प्रदेश की कांग्रेस प्रभारी प्रियंका गांधी ने लिखा कि जमीन की खरीद-बिक्री से सम्बंधित बैनामे और रजिस्ट्री में गवाहों के नाम एक समान हैं। एक गवाह मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं (जो आरएसएस के पूर्व प्रांतीय कार्यवाहक रहे हैं) और दूसरे गवाह भाजपा नेता एवं अयोध्या के मेयर हैं। ट्रस्ट के सचिव की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि जमीनों के रेट बढ़ गए हैं इसलिए इतना भुगतान हुआ है। सूचना के अनुसार सर्किल रेट पर भी आंकलन करें तो इस क्षेत्र की इतनी जमीन का दाम लगभग 5 करोड़ रुपए होगा।
महंत नृत्यगोपाल ने भी ट्रस्ट पर लगाये हैं आरोप : प्रियंका गांधी
प्रियंका गांधी ने लिखा है कि आज के अखबारों में आई खबरों के अनुसार भी श्रीराम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास की ओर से भी ट्रस्ट के संचालन में मनमानेपन व अपारदर्शिता का आरोप लगाया गया है। महासचिव लिखा है कि देश के करोड़ों लोगों ने आस्था और भक्ति से प्रेरित होकर भगवान श्रीराम के मंदिर के लिए चढ़ावा दिया। हमारी बहुत सारी बहनों ने भगवान राम और माता सीता के प्रति श्रद्धा में अपनी जमापूंजी को उनके चरणों में अर्पित किया। भगवान के चढ़ावे में तो कोई भी हाथ नहीं लगाता। उस चढ़ावे में लोगों की श्रद्धा, भक्ति एवं आस्था गुंथी हुई होती है।
प्रियंका गांधी ने लिखा है कि आज के अखबारों में आई खबरों के अनुसार भी श्रीराम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास की ओर से भी ट्रस्ट के संचालन में मनमानेपन व अपारदर्शिता का आरोप लगाया गया है। महासचिव लिखा है कि देश के करोड़ों लोगों ने आस्था और भक्ति से प्रेरित होकर भगवान श्रीराम के मंदिर के लिए चढ़ावा दिया। हमारी बहुत सारी बहनों ने भगवान राम और माता सीता के प्रति श्रद्धा में अपनी जमापूंजी को उनके चरणों में अर्पित किया। भगवान के चढ़ावे में तो कोई भी हाथ नहीं लगाता। उस चढ़ावे में लोगों की श्रद्धा, भक्ति एवं आस्था गुंथी हुई होती है।