लखनऊ

श्रमिकों के लिए बसों पर राजनीतिक घमासान जारी, प्रियंका गांधी ने बसों को वापस भेजने पर दिया बड़ा बयान

प्रवासी मजदूरों को बसों के माध्यम से उनके घरों तक पहुंचाने की कवायद में यूपी के सभी प्रमुख राजनीतिक दल आमने-सामने आ गए हैं। सबसे बीच में हैं कांग्रेस व भाजपा जिनका एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला थम ही नहीं रहा है।

लखनऊMay 20, 2020 / 05:19 pm

Abhishek Gupta

priyanka gandhi

लखनऊ. प्रवासी मजदूरों को बसों के माध्यम से उनके घरों तक पहुंचाने की कवायद में यूपी के सभी प्रमुख राजनीतिक दल आमने-सामने आ गए हैं। सबसे बीच में हैं कांग्रेस व भाजपा जिनका एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला थम ही नहीं रहा है। तो वहीं सपा, बसपा इन दोनों दलों पर मुख्य मुद्दे से जनता का ध्यान भटकाने का आरोप मढ़ रही है। शनिवार को शुरू हुई इस जंग का सिलसिला बुधवार चौथे दिन भी जारी रहा। बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि बीजेपी व कांग्रेस की तरह श्रमिकों की मदद की आड़ में बसपा ने कोई घिनौनी राजनीति नहीं की, बल्कि बिना प्रचार-प्रसार के चक्कर में पड़े पूरे देश में श्रमिकों की हर स्तर पर मदद की है। डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा भी दूसरे दिन सिर्फ इसी मुद्दे पर प्रेस कांफ्रेंस करते नजर आए। 1000 बसों की सूची में हुए फर्जीवाड़े को लेकर उन्होंने कांग्रेस को पुनः आड़े हाथों लिया। वह बसों की सूची में एम्बुलेंस, ऑटो, बाइक, थ्री-व्हीलर जैसे वाहन की डीटेल मौजूद होने का आरोप लगाते दिखे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी व उनकी महासचिव प्रियंका वाड्रा ख़ुद को मज़दूरों की हितैषी साबित करने में जुटी हुई है। मीडिया व सोशल मीडिया के माध्यम से वह हमारे श्रमिक भाई-बहनों के नाम पर रोटियाँ सेक रही है। आज विपक्ष की ओछी राजनीति का पूर्ण रूप से पर्दाफ़ाश हुआ है। उधर पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम के चेयरमैन बाबूराम निषाद ने तो फिल्म ‘बंटी और बबली’ के जालसाजी वाले मुख्य किरदारों से राहुल-गांधी और प्रियंका गांधी की तुलना कर दी। बाहर से हमला कम नहीं हो रहा था कि कांग्रेस के भीतर भी विरोध के स्वर उठे। खुद रायबरेली से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने एक हजार बसें चलाने पर सवाल खड़े कर दिए और इसे कांग्रेस की ओर से किया गया क्रूर मजाक तक कह दिया। इस सभी राजनीतिक उलझनों के बीच प्रियंका गांधी वाड्रा ने श्रमिकों को उनके साथ खड़े होने का विश्वास दिलाया। साथ ही बसों को इस्तेमाल में लाने व न लाने का फैसला योगी सरकार पर छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि सरकार को बसें नहीं चाहिए तो बोल दें, हम वापस भेज देंगे।
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एमपी सीएम व राजस्थान डिप्टी सीएम भी कूदे घमासान में-

घमासान केवल यूपी तक सीमित नहीं रहा बल्कि अन्य राज्यों में भी पलटवार देखने को मिला। राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने ट्वीट कर कहा कि प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने के प्रयासों में लगे यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव विवेक बंसल की गिरफ्तारी निंदनीय है। इसके बजाय यूपी सरकार बसों को अनुमति दें, ताकि बेसहारा श्रमिक अपने घर पहुँच सकें। वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तो कांग्रेस महासचिव व यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी को एमपी आकर व्यवसथाएं सीखने की नसीहत दे डाली। उन्होंने कहा कि अगर आपको सच में श्रमिकों की मदद करनी है, तो मध्यप्रदेश आइये। हमारे यहॉं की व्यवस्थाऍं देखिये, सीखिए, उससे आपको मदद मिलेगी। मध्यप्रदेश की धरती पर आपको कोई मजदूर भूखा, प्यासा और पैदल चलता हुआ नहीं मिलेगा। हमने कारगर इंतजाम किये हैं।
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क्षमता के हिसाब से प्रवासियों की मदद करते रहेंगे- प्रियंका गांधी
कांग्रेस महासचिव व यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने बुधवार को कहा हमें इससे मतलब नहीं है कि बसें किसकी है, लेकिन उनका चलना जरूरी है। अगर यूपी सरकार उनका प्रयोग नहीं करना चाहती तो हमें बोल दे, हम बसें वापस भेज देंगे। प्रियंका गांधी ने बुधवार को कहा कि हमने 17 मई को 500 बसें गाजियाबाद भेजीं। सरकार के कहने पर चार-पांच घंटे में बसों की लिस्ट भेजी। हमने जो बसें भेजीं उनका उपयोग होता तो अब तक कम से कम 95000 लोगों को घर भेजा जा चुका होता। फिर 19 मई को 900 बसें राजस्थान-यूपी बॉर्डर पर दी थी। अगर वह चलती तो कई प्रवासी अब तक अपने-अपने घर पहुंच चुके होते। प्रियंका ने कहा कि अभी हमारी बसें 4 बजे तक खड़ी रहेंगी। वे चाहे तो उस पर बीजेपी का झंडा लगवा लें, लेकिन मज़दूरों और ग़रीबों को जाने दें। जिन लोग बसों से पहुंच सकते है, वो पैदल चलने को मजबूर हैं। हमें इन इन राजनीतिक उलझनों में नहीं पड़ना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि हमें अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। जो प्रवासी मजदूर पैदल चलकर अपने घरों को जा रहे हैं वो केवल भारतीय नहीं, बल्कि भारत के रीढ़ की हड्डी हैं। देश उनके खून पसीने से चलता है। उनका ख्याल रखना सभी की जिम्मेदारी है। यह राजनीति का समय नहीं है। जैसे महामारी में लोगों की मदद कर रहे हैं, वैसी ही मदद प्रवासियों की सेवा भाव से करते रहेंगे। हम श्रमिकों के साथ हैं और अपनी क्षमता के हिसाब से उनकी मदद करते रहेंगे।
त्रासदी पर से ध्यान बांट रही हैं भाजपा-कांग्रेस- मायावती

बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि पिछले कई दिनों से प्रवासी श्रमिकों को घर भेजने के नाम पर खासकर बीजेपी व कांग्रेस द्वारा जिस प्रकार से घिनौनी राजनीति की जा रही है यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण है। कहीं ऐसा तो नहीं ये पार्टियां आपसी मिलीभगत से एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करके इनकी त्रासदी पर से ध्यान बांट रही हैं?
विधायक अदिति ने पूछे सवाल-
रायबरेली से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने कहा कि आपदा के वक्त ऐसी निम्न सियासत की क्या जरूरत है? एक हजार बसों की सूची भेजी गई, उसमें भी आधी से ज्यादा बसों का फर्जीवाड़ा। इसमें 297 कबाड़ बसें, 98 आटो रिक्शा व एम्बुलेंस जैसी गाड़ियां, 68 वाहन बिना कागजात के, ये कैसा क्रूर मजाक है, अगर बसें थीं तो राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र में क्यों नहीं लगाई गईं?
कोटा में जब बच्चे परेशान थे, तब क्यों नहीं आई उनकी याद- डीप्टी सीएम दिनेश शर्मा

डिप्टी सीएम ने कहा कि राजस्थान के कोटा में जब बच्चे परेशान हो रहे थे तब राजस्थान सरकार को उनकी याद क्यों नहीं आई। उस समय 630 बसें योगी सरकार ने राजस्थान भेजकर बच्चों को मंगवाने का काम किया था। उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने बुधवार को लोकभवन में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कांग्रेस की महासचिव प्रियंका वाड्रा द्वारा जो 1000 बसों की सूची दी गई थी उसमें 460 बसें फर्जी निकली, जिनका फिटनेस भी नहीं है।

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