राष्ट्रपति ने ‘विद्यां ददाति विनयम्, विनयाद् याति पात्रताम। पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम श्लोक सुनाया और कहा कि विद्या विनय देती है और विनय से पात्रता आती है। पात्रता से धन, धन से धर्म और धर्म से सुख प्राप्त होता है। उन्होंने आशा जताई कि संस्थान के आदर्श वाक्यों के अनुकूल आचरण करते हुए नैतिकता के साथ समाज व देश के सशक्त व समृद्ध भविष्य के लिए कार्य करेंगे।
महामहिम ने कहा कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है। ऑर्टिफिशयल इंटेलिजेंस मानव जीवन को आसान बनाने व उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण साधन साबित हो रहा है। अपने व्यापक अनुप्रयोग के साथ एआई और मशीन लर्निंग जीवन के सभी पहलुओं को छू रहा है। हेल्थ केयर, एजूकेशन, एग्रीकल्चर, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्मार्ट सिटी, स्मार्ट मोबिलिटी व ट्रांसपोर्टेशन आदि क्षेत्रों में एआई और मशीन लर्निंग हमारी दक्षता व कार्यक्षमता में व्यापक स्तर पर सुधार के अनेक अवसर प्रस्तुत कर रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार ने 2018 में एआई के लिए राष्ट्रीय रणनीति प्रकाशित की थी। यूपी सरकार ने भी प्रमुख शहरों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी हब के रूप में विकसित करने के लिए योगदान प्रारंभ किया है। एआई व अन्य समकालीन तकनीकी विकास असीमित, अभूतपूर्व डवलपमेंटल एवं ट्रांसफरमेटिव संभावनाएं प्रदान करता है। आवश्यक है कि एआई प्रयोग के साथ उत्पन्न नैतिक दुविधाओं का निराकरण सबसे पहले हो। चाहे आटोमेशन के कारण उत्पन्न रोजगार की समस्या हो या आर्थिक असमानता की चौड़ी होती खाई या फिर एआई के परिणामों में आने वाले मानवीय पूर्वाग्रह, हमें हर समस्या के लिए रचनात्मक हल ढूंढना होगा। सुनिश्चित करना होगा कि एआई के साथ इमोशनल इंटेलिजेंस को भी महत्व दें। एआई साध्य नहीं, बल्कि साधन है। जिसका उद्देश्य मानव जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने में हो। हमारे प्रत्येक निर्णय से सबसे निचले पायदान पर खड़ा व्यक्ति भी लाभान्वित हो।
राष्ट्रपति ने कहा कि आईआईआईटी लखनऊ को संसद के अधिनियम द्वारा इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल इंपार्टेंस का दर्जा दिया गया है। यह योग्यता, सामर्थ्य व दक्षता का परिचायक है। देश और समाज आशा करता है कि आप शिक्षा के क्षेत्र में न केवल सर्वोच्च मानकों पर खरे उतरेंगे, बल्कि उत्कृष्टता व सर्वश्रेष्ठता के ऐसे आयाम स्थापित करेंगे, जो स्वयं में मापदंड होंगे। इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी व बिजनेस जैसे विषयों में आईआईआईटी द्वारा प्रदान की जाने वाले शिक्षा, शिक्षा प्रदान करने वाले शिक्षक व शिक्षा ग्रहण करने वाले सभी विद्यार्थी शैक्षणिक जगत के शीर्षतम पायदान पर खड़े हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि आईआईआईटी को भारतीय परंपरा को बुनियाद बनाकर क्षेत्रीय भाषाओं में ज्ञानार्जन की सोच सकारात्मक कदम है। यह भाषायी सीमाओं की वजह से ज्ञान संवर्धन में आने वाली बाधाओं को दूर करने में बड़ा कदम साबित होगी। अनुसंधान व विकास को मूर्त रूप देकर समाज तक पहुंचाने व वास्तविक दुनिया की चुनौतियों के समाधान योग्य बनाने के लिए इंक्यूबेशन सेंटर की (सीआरईएटीई) की स्थापना सराहनीय है। आईआईआईटी लखनऊ समाज व उद्योग जगत के सामने आने वाली चुनौतियों व समय के साथ उपजी मांगों के लिए विद्यार्थियों को तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है। दूरदर्शिता व कल्पनाशीलता का उदाहरण है कि यह देश का पहला संस्थान है कि जिसने नई शिक्षा नीति के विजन को ध्यान में रखते हुए डिजिटल बिजनेस के लिए एमबीए कार्यक्रम शुरू किया। यह पहल विद्यार्थियों को न केवल डिजिटल युग के लिए तैयार करने में सहयोगी साबित हुई है, बल्कि डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण के अनुकूल भी है।