योगी ने नायब सिंह सैनी को को दी जीत की बधाई
सीएम योगी ने कार्यक्रम में शामिल हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को विधानसभा चुनाव में जीत की बधाई भी दी। उन्होंने प्रदेश की जनता का विशेष रूप से आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हरियाणावासियों ने प्रदेश में डबल इंजन की सरकार को फिर से चुनकर भगवान श्रीकृष्ण के उद्घोष ‘परित्राणाय साधुनाम, विनाशाय च दुष्कृताम’ को सिद्ध करके दिखा दिया है। हरियाणा वालों ने दिखा दिया है कि जनता का जनार्दन रूप कैसा होता है। सज्जन शक्ति का संरक्षण और दुर्जन शक्ति को रसातल में पहुंचाना ही परम कर्तव्य है।‘विकास के लिए चुनने होंगे सही लोग’
सीएम योगी ने धर्म के दो हेतुओं अभ्युदय और नि:श्रेयस की चर्चा करते हुए कहा कि अभ्युदय का पालन किए बिना नि:श्रेयस की प्राप्ति संभव नहीं है। धर्म के दो हेतु हैं, पहला है अभ्युदय का और दूसरा नि:श्रेयस का। अभ्युदय का अर्थ सांसारिक उत्कर्ष है, जिसमें हम अपने सामर्थ्य के अनुसार अपनी ऊर्जा को लोककल्याण के साथ जोड़ते हैं। इसके लिए हमें सही फैसला लेना होगा। धार्मिक क्षेत्र में अच्छे संत चाहिए होंगे। विकास के लिए सही लोग चुनने होंगे। अच्छे लोगों को चुनेंगे तो परिणाम भी अच्छा आएगा। हरियाणा के लोगों ने अच्छा फैसला किया है। ये भगवान श्रीकृष्ण के कर्मयोग की धरा है। जिन लोगों ने बुरा किया उनका परिणाम भी बुरा ही होगा। दूसरा हेतु है नि:श्रेयस का। एक योगी या सद्गृहस्थ अपने अभ्युदय को विस्मृत करके कभी नि:श्रेयस की प्राप्ति नहीं कर सकता। जब सांसारिक उत्कर्ष के लिए निष्काम भाव से काम करेंगे तो परिणाम हमें इसी रूप में देखने को मिलेगा। ये इस लोक में विकास के साथ लोकमंगल की कामनाओं की सिद्धि का आधार तो तय करेगा ही, इसके बाद वह हमारी मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। यही धर्म की दो कामनाएं हैं। इन्हीं कामनाओं को लेकर प्राचीन काल से संतों का समागम होते रहे हैं। समय-समय पर इस धरा धाम को उपकृत करने वाले दैवीय महापुरुषों के माध्यम से जो विशिष्ट घटनाएं घटित हुईं, वही हमारे पर्व और त्योहार बन गए।
‘सरस्वती नदी को पुनर्जीवन देने का कार्य कर रही सरकार’
सीएम योगी ने कहा कि ये आयोजन मां सरस्वती के तट पर हो रहा है। सरस्वती नदी को पुनर्जीवन देने का कार्य हरियाणा की सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ कर रही है। अब संतों और आमजन की भी जिम्मेदारी है कि सभी इसके लिए सामूहिक प्रयास करें। जल की एक-एक बूंद को बचाने, जल की शुद्धि, वृक्षारोपण का कार्य, प्राकृतिक और गौ आधारित खेती इस नदी को पुनर्जीवन देने का आधार होगा। भारत की नदियों के प्रति हमें अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन करना होगा। यह भी पढ़ें