मौसम विभाग का 28 फरवरी के लिए एक बड़ा अलर्ट हर तरफ भक्ति का रंग था :- शुक्रवार देर रात मेला क्षेत्र में खचाखच भीड़ उमड़ने लगी थी। श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी में डुबकी लगाने के लिए व्याकुल हो रहे थे। संगम का पव़ित्र तट और उस पर माघी पूर्णिमा का दिन, हर श्रद्धालु को इन मांओं के गोद में डूबने की जल्दी थी। संगम की अमृतमयी पावन धारा के स्पर्श की इच्छा बलवती हो रही थी। मेला प्रशासन के मुताबिक, शाम तक करीब 40 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में आज आस्था की डुबकी लगाई है। हर तरफ भक्ति का रंग था स्नान के बाद कहीं अनुष्ठान और कहीं आहुति दी जाने लगी थी। माघ मेले का पूरा वातावरण सिर्फ आस्था के सैलाब में डूबा हुआ था।
अब वृंदावन व हरिद्वार कुंभ की ओर चला रेला :- माघ मेले में श्रद्धालु करीब एक माह से कल्पवास कर रहे हैं। माघ मेला का चौथा स्नान पर्व माघी पूर्णिमा के स्नान के बाद पूर्णाहुति देकर कल्पवासी आध्यात्मिक शक्ति बटोर कर अब घर की तरफ रुख करेंगे। माघी पूर्णिमा के मघा नक्षत्र में पितरों का तर्पण कर उनका आशीर्वाद उत्तम माना गया है। श्रद्धालुओं ने आज गंगा के तट पर बड़ी संख्या में अपने पितरों का तर्पण किया हैं। हां, कुछ महात्मा अभी महाशिवरात्रि तक मेला क्षेत्र में रहेंगे। प्रयागराज से अधिकतर संत-महात्मा वृंदावन व हरिद्वार कुंभ में शामिल होने जाएंगे।
वृंदावन कुंभ: पहले निकली गई शाही पेशवाई :- भगवान श्रीराधाकृष्ण की लीला भूमि पर शुरू हुए वृंदावन कुंभ का पहला शाही स्नान आज बड़े उत्साह के साथ मनाया गया है। शाही स्नान से पूर्व श्रीबांकेबिहारी की नगरी में संतों की शाही पेशवाई निकली गई। इसकी अगुवाई ध्वज पताका पर विराजमान हनुमान जी कर रहे थे। सवारी में हाथी-घोड़े के साथ—साथ बैंड बाजे बज रहे थे। शाही पेशवाई में बैंडबाजे, खिलाड़ी, हाथी-घोड़ा, ऊंट, घोड़ा बग्गी पर विराजमान पांच पूर्व आचार्यों के चित्र, तीनों अनी अखाड़ों के श्रीमहंत, चतु:संप्रदाय के श्रीमहंत, जगदगुरु रामानंदाचार्य, वल्लभाचार्य, निम्बार्काचार्य व जगतगुरु मध्यगौडेश्वर, अखाड़े के नागा साधु संत, महंत, मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर, द्वाराचार्य, परिवाराचार्य, नागा अतीत और साधु-संत, सेवक शामिल हुए। शाही पेशवाई के बाद, शाही स्नान पूरी सावधानी से सम्पन्न हुआ। सुरक्षा व्यवस्था में जिला प्रशासन मुस्तैदी के साथ जुटा हुआ था।