प्रशांत ने साफ बताया कि विवेक तिवारी को गोली मारने के बाद मौके से उसने भागने की कोशिश नहीं की थी। बाइक क्षतिग्रस्त हो गई थी, इसलिए वह गाड़ी का पीछा नहीं कर पाया। साथ ही घटना के तुरंत बाद अधिकारियों को उसने फोन किया व इसकी जानकारी दी। जिसके बाद एएसपी नॉर्थ विक्रांत वीर व सीओ चक्रेश मिश्रा मौके पर आए और अधिकारियों ने प्रशांत व संदीप को गोमतीनगर थाने भेज दिया। प्रशांत की मानें को थाने में कुथ देर बाद आलाधिकारियों का आना-जाना शुरू होगा, सभी ने उससे अलग-अलग सवाल पूछे। यह सब आधी रात के बाद करीब हुई घटना के बाद हुआ। 29 सितम्बर की सुबह होने तक वह थाने में रहा। उसके बाद करीब 9 बजे उसे लोहिया अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका मेडिकल हुआ।
पहली बार देखा था सना व विवेक को-
एसआईटी जांच में विवेक और सना को पहले से जानने के सवाल पर प्रशांत और संदीप ने कहा कि वे उन्हें पहले से नहीं जानते थे। प्रशांत ने कहा कि उसने 29 सितंबर की रात रात पहली बार इस मामले में चश्मदीद सना को कार में देखा था व विवेक तिवारी से भी पहली बार क्षणिक भर ही देखा था। प्रशांत ने अपने बयान में कहा कि उसने एक्सयूवी पर सीधे पिस्टल तानी तो वह अपने आप फायर हो गई, जिससे वो गाड़ी के विंड स्क्रीन पर लगी। प्रशांत को इसका बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि गोली कार में बैठे किसी व्यक्ति को लग गई है, गाड़ी जब वहां से जाने लगी तो उसे और इस बात का यकीन हो गया कि गाड़ी में किसी को गोली नहीं लगी है। उसने यह भी कहा कि विवेक और सना से कोई पुरानी रंजिश नहीं थी।