यहां से शुरू हुआ उद्बोधन
राजस्थान पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने कहा कि पत्रिका टीवी की इस की नोट कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा, हमारे सम्मानित वक्ता, पूर्व जनरल वीके मलिक एंव अतिथिगण का मैं दिल से स्वागत करता हूं। उन्होंने वीके मलिक को धन्यवाद दिया कि इतने कम समय में उन्होंने इस कार्यक्रम में आकर आकर हिम्मत को बढ़ाया। की-नोट अलग-अलग प्रांत में होता है। दो साल से हम लोगों ने डीजिटल में प्रवेश किया है और सम्मानजनक जगह बनायी है। लोगों ने जो सहयोग दिया है, उससे हमारा उत्साह बढ़ा है। हम प्रयास करते हैं, जिस प्रांत में हमारी उपस्थिति है। वहां के विकास के आयाम को लेकर चुने हुए विशेषज्ञों को एक मंच व एक जगह पर प्रस्तुत करें।
राजस्थान पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने कहा कि पत्रिका टीवी की इस की नोट कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा, हमारे सम्मानित वक्ता, पूर्व जनरल वीके मलिक एंव अतिथिगण का मैं दिल से स्वागत करता हूं। उन्होंने वीके मलिक को धन्यवाद दिया कि इतने कम समय में उन्होंने इस कार्यक्रम में आकर आकर हिम्मत को बढ़ाया। की-नोट अलग-अलग प्रांत में होता है। दो साल से हम लोगों ने डीजिटल में प्रवेश किया है और सम्मानजनक जगह बनायी है। लोगों ने जो सहयोग दिया है, उससे हमारा उत्साह बढ़ा है। हम प्रयास करते हैं, जिस प्रांत में हमारी उपस्थिति है। वहां के विकास के आयाम को लेकर चुने हुए विशेषज्ञों को एक मंच व एक जगह पर प्रस्तुत करें।
देश के विकास का हिस्सा बनें
राजस्थान पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने आगे कहा कि प्रयास है कि हम अपनी बात को देश के विकास के लिए प्रेरित करें। लोगों को लाभ होगा और व्यवस्था में बदलाव होगा। मीडिया सूचनाओं के प्रसारण का माध्यम है। उसका उत्तरदायित्व है कि समाजिक प्रसारण भी करें। एक व्यवसाय है और उसकी सीमा हो। सामाजिक उत्तरदायित्व की भी सीमा हो। सामाजिक एकरुपता को बनाये रखने की जरुरत है। हमारी भूमिका सामाजिक सारोकारों के साथ जुड़ी है। अखबार एक जगह है। सामाजिक जागरूकता पर विशेष ध्यान दिया जाता है। कन्या भ्रूण हत्या, जल संरक्षण आदि सामाजिक मुद्दे पर वर्षों से काम करते आए हैं।
राजस्थान पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने आगे कहा कि प्रयास है कि हम अपनी बात को देश के विकास के लिए प्रेरित करें। लोगों को लाभ होगा और व्यवस्था में बदलाव होगा। मीडिया सूचनाओं के प्रसारण का माध्यम है। उसका उत्तरदायित्व है कि समाजिक प्रसारण भी करें। एक व्यवसाय है और उसकी सीमा हो। सामाजिक उत्तरदायित्व की भी सीमा हो। सामाजिक एकरुपता को बनाये रखने की जरुरत है। हमारी भूमिका सामाजिक सारोकारों के साथ जुड़ी है। अखबार एक जगह है। सामाजिक जागरूकता पर विशेष ध्यान दिया जाता है। कन्या भ्रूण हत्या, जल संरक्षण आदि सामाजिक मुद्दे पर वर्षों से काम करते आए हैं।
यूपी देश का हृदय
उन्होंने कहा कि यूपी देश का हृदय है। घनी आबादी के साथ राजनीतिक रुप से इस सूबे का बहुत महत्व है। जनता ने हमें एक लक्ष्य दिया है हमारे वायदों को स्वीकार किया है। प्रदेश को विकास के मार्ग पर चला कर शीर्ष पर प्रदेश को पहुंचाना है। लोकतंत्र के प्रति निष्ठावान मीडिया भी सबको चाहिए। इसके लिए स्वार्थ को छोड़ना होगा। पत्रकारिता के जो सिद्धांत हैं वह समाज में नयी चेतना व ऊर्जा का निर्माण करते हैं। पिछले वर्षों में पत्रिका ने देश की सांस्कृतिक विरासत को लेकर साथ निभाया है। देश की गहराई तक संस्कारों की छवि व प्रतिष्ठा को आप देख सकते हैं। शिक्षा क्षेत्र से डिग्री मिल रही है लेकिन नौकरी नहीं। शिक्षा में जिंदगी को जीने का तरीका नहीं सिखाया जाता है। परिवर्तन के दौर से जिंदगी चल रही है। परिवारों की भूमिका क्या थी, क्या रह गयी है। अब परिवार ही नहीं रह गया है। आखिर हम किन आकांक्षाओं को लेकर भविष्य देख रहे हैं। भविष्य नहीं दिखायी दे रहा है। नई पीढ़ी को भविष्य नहीं दिख रहा है।
सच्चाई के मार्ग पर चलना कठिन
श्रीकोठारी ने कहा कि सच्चाई के मार्ग पर चलना बहुत कठिन होता है। यह तलवार की धार पर चलने जैसे होता है। सीएम योगी संत हैं और सच्चाई पर चलने के साथ राजनीति का भी ध्यान रखना होता है। सच को ही ईश्वर मानते हैं। पत्रिका एक सच है। यहां तक पहुंचने के लिए कुर्बानी देते आये हैं। पेड न्यूज में मीडिया घराने के नाम आते हैं। पत्रिका का नाम इसमें नहीं आता है। सिद्धांतों पर चलने के लिए आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। सरकारों की आंखों में कांटे की तरह चुभ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट तक लडना पड़ रहा है।
श्रीकोठारी ने कहा कि सच्चाई के मार्ग पर चलना बहुत कठिन होता है। यह तलवार की धार पर चलने जैसे होता है। सीएम योगी संत हैं और सच्चाई पर चलने के साथ राजनीति का भी ध्यान रखना होता है। सच को ही ईश्वर मानते हैं। पत्रिका एक सच है। यहां तक पहुंचने के लिए कुर्बानी देते आये हैं। पेड न्यूज में मीडिया घराने के नाम आते हैं। पत्रिका का नाम इसमें नहीं आता है। सिद्धांतों पर चलने के लिए आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। सरकारों की आंखों में कांटे की तरह चुभ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट तक लडना पड़ रहा है।