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लखनऊ

हज हाउस के शिफ्ट करने को लेकर शुरू हुआ बवाल बोले पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी

हज कमेटी का अध्यक्ष और सेंट्रल हज कमेटी ऑफ इंडिया में उत्तर प्रदेश से सदस्य सुन्नी समुदाय का ही होना चाहिए तभी वह सुन्नी समुदाय के मुसलमानों को सुविधा देने पर काम करेगा।

लखनऊOct 09, 2023 / 12:01 am

Ritesh Singh

 हज कमेटी कार्यालय को शिफ्ट करने का आदेश  पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का

हज कमेटी कार्यालय को शिफ्ट करने का आदेश पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का

पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश राज्य हज कमेटी का कार्यालय सरोजनी नगर के हज हाउस में शिफ्ट किया जाना पसमांदा मुसलमानों के लिए बहुत ही परेशानी का सबब है। इस सम्बन्ध में अनीस मंसूरी ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजा है।
अनीस मंसूरी ने कहा कि मुसलमानो की कुल आबादी का 85 प्रतिशत पसमांदा मुसलमान हैं, और हज यात्रियों में 90 प्रतिशत हज यात्री पसमांदा मुस्लिम समाज से होते हैं जो अपनी गाढ़ी कमाई का एक एक पैसा जमा कर के हज यात्रा पर जाते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य हज कमेटी के अध्यक्ष को अपने इस फैसले पर पुन: विचार करना चाहिए।
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मंसूरी रविवार को अपने कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हज के आवेदन फॉर्म शुरू होने से लेकर हाजियों की वापसी तक हज कमेटी के कार्यालय में प्रदेश भर से लाखों लोग आते हैं। यह कार्यालय विधानसभा के सामने होने की वजह से हज यात्रियों को बहुत सुविधा होती है। यात्री बिना सड़क जाम में फंसे कम पैसों में कार्यालय पहुंच जाते हैं।

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अनीस मंसूरी ने कहा कि हज कमेटी का ऑफिस सरोजनी नगर में शिफ्ट होने पर लोगों को बहुत दुशवारियां होंगी। यात्री कम से कम पांच जगह बड़े सड़क जाम में फसेंगे। साथ ही उनके समय और पैसों की भी बर्बादी होगी। मंसूरी ने कहा कि हज कमेटी कार्यालय को शिफ्ट करने का आदेश भले ही पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का है लेकिन जब मायावती को हाज यात्रियों की दुश्वारियों का पता चला तो उन्होंने अपने ही आदेश को लागू नहीं किया। मायावती के बाद समाजवादी पार्टी की सरकार बनी और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने।
अखिलेश यादव ने हज कमेटी कार्यालय के बगल में लोक भवन का निर्माण कराया लेकिन मुसलमानों की परेशानियों को देखते हुए उन्होंने हज कमेटी कार्यालय को वैसे ही रहने दिया। अनीस मंसूरी ने कहा कि राज्य हज कमेटी के अध्यक्ष शिया समुदाय से आते हैं और उनके समुदाय के आधा प्रतिशत से भी कम लोग हज करने जाते हैं। इस साल 26786 लोगों ने आवेदन किया जिसमें मात्र 120 लोग शिया समुदाय के थे। जबकि सुन्नी समुदाय के 23000 से अधिक लोग हज करने गए वहीं शिया समुदाय के मात्र 83 लोग ही हज करने गए। इससे भी दुखद बात यह है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से मात्र 17 लोगों ने फॉर्म भरा जिसमें से मात्र सात लोग हज करने गए।

अनीस मंसूरी ने कहा कि पिछले 10 सालों का रिकॉर्ड देखा जाए तो कभी भी शिया समुदाय के इतने लोग हज करने नहीं गए जिस से 300 लोगों की एक फ्लाइट फुल हो जाती। अनीस मंसूरी ने कहा कि यह एक गंभीर चिंता का विषय है। हज कमेटी के अध्यक्ष को हज कमेटी कार्यालय सरोजनी नगर शिफ्ट करने के बजाय अपने समुदाय के शिया हज यात्रियों की संख्या बढ़ाने पर गौर करना चाहिए।
अनीस मंसूरी ने कहा कि एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , आरएसएस के सुप्रीमो मोहन भागवत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए मुसलमानों को पार्टी से जोड़ने का काम कर रहे हैं, वही हज कमेटी के अध्यक्ष मुसलमानों में बीजेपी के लिए नफरत पैदा करने का काम कर रहे हैं। अनीस मंसूरी ने कहा कि प्रदेश में सबसे ज्यादा संख्या में सुन्नी समुदाय के लोग हज करने जाते हैं ऐसे में हज कमेटी का अध्यक्ष और सेंट्रल हज कमेटी ऑफ इंडिया में उत्तर प्रदेश से सदस्य सुन्नी समुदाय का ही होना चाहिए तभी वह सुन्नी समुदाय के मुसलमानों को सुविधा देने पर काम करेगा।

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