37 साल में महज एक रुपये महंगा हुआ मसाला
एक हिंदी समाचार वेबसाइट के अनुसार चार दशक में दुनिया भले इधर से उधर हो गई हो। इस अवधि में सरकारी रिकॉर्ड में महंगाई दर 300 फीसदी हो गई हो लेकिन पान मसाला और तंबाकू की दुनिया पर कोई खास असर नहीं आया। जो पाउच वर्ष 1985 में एक रुपये का बिकता था, आज केवल दो से ढाई रुपये में बिक रहा है।
एक हिंदी समाचार वेबसाइट के अनुसार चार दशक में दुनिया भले इधर से उधर हो गई हो। इस अवधि में सरकारी रिकॉर्ड में महंगाई दर 300 फीसदी हो गई हो लेकिन पान मसाला और तंबाकू की दुनिया पर कोई खास असर नहीं आया। जो पाउच वर्ष 1985 में एक रुपये का बिकता था, आज केवल दो से ढाई रुपये में बिक रहा है।
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अधिकारी के मुताबिक पांच रुपये वाले पाउच में टैक्स हटाने के बाद लगभग 1.10 रुपये बचते हैं। इसमें कच्चा माल, तंबाकू, पैकिंग, परिवहन, भंडारण, डीलर, फुटकर और कंपनी का मुनाफा सहित अन्य खर्च शामिल हैं, जो असंभव है। अब आपको समझाते हैं क्या है चोरी का गणित
डीजीजीआई के एक अधिकारी ने बताया “अप्रैल से पहले दोनों टैक्स, मसाले के पाउच पर दर्ज कीमत के बजाय कंपनी द्वारा जारी बिल पर लगते थे। टैक्स बचाने के लिए कंपनियां 25 हजार के मसाले की कीमत महज 10 हजार रुपये दिखाकर इसी मूल्य पर टैक्स भर देती थीं।”
डीजीजीआई के एक अधिकारी ने बताया “अप्रैल से पहले दोनों टैक्स, मसाले के पाउच पर दर्ज कीमत के बजाय कंपनी द्वारा जारी बिल पर लगते थे। टैक्स बचाने के लिए कंपनियां 25 हजार के मसाले की कीमत महज 10 हजार रुपये दिखाकर इसी मूल्य पर टैक्स भर देती थीं।”
जीएसटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस नियम की आड़ में जमकर टैक्स चोरी की जा रही थी। चूंकि किसी भी उत्पाद पर अधिकतम जीएसटी 28 फीसदी ही लगाया जा सकता है, जो मसाले और तंबाकू इंडस्ट्री से पहले ही लिया जा रहा था। इसलिए जीएसटी काउंसिल ने एक अप्रैल से बिल के बजाय फुटकर बिक्री मूल्य पर सेस लगा दिया। व्यवस्था में बदलाव का असर ये हुआ कि पांच रुपये वाले पान मसाले पर सेस लगभग 60 पैसे से बढ़कर 1.28 रुपये हो गया।”
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इसके अलावा साथ में मिलने वाली तंबाकू पर सेस लगभग 84 पैसे से बढ़कर 2.04 रुपये हो गया। दो रुपये, दस रुपये और बीस रुपये वाले पान मसाला पाउच पर भी यही फॉर्मूला है। निगरानी एजेंसियों को उम्मीद थी कि इससे टैक्स चोरी में कमी आएगी और मसाला महंगा होने से मांग घटेगी। मगर हुआ इसका उलटा। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पांच रुपये वाले मसाला और तंबाकू पाउच की लागत ही 8 रुपये और ढाई रुपये वाले पाउच की लागत करीब 4 रुपये हो गई।
इसके अलावा साथ में मिलने वाली तंबाकू पर सेस लगभग 84 पैसे से बढ़कर 2.04 रुपये हो गया। दो रुपये, दस रुपये और बीस रुपये वाले पान मसाला पाउच पर भी यही फॉर्मूला है। निगरानी एजेंसियों को उम्मीद थी कि इससे टैक्स चोरी में कमी आएगी और मसाला महंगा होने से मांग घटेगी। मगर हुआ इसका उलटा। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पांच रुपये वाले मसाला और तंबाकू पाउच की लागत ही 8 रुपये और ढाई रुपये वाले पाउच की लागत करीब 4 रुपये हो गई।
डीजीजीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नई टैक्स व्यवस्था लागू होने के 38 दिन बाद भी कीमत न बढ़ने से विभाग अलर्ट हो गया है। नए सिरे से जांच की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने आशंका जताई कि चोरी से चलने वाली पान मसाला मशीनों की संख्या में 30 फीसदी तक इजाफा हो सकता है।
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अब आपको समझाते हैं 5 रुपये के पाउच का गणित पान मसाले पर जीएसटी- 38 पैसेमसाले पर सेस- 1.28 रुपये
तंबाकू पर जीएसटी- 20 पैसे
तंबाकू पर सेस- 2.04 रुपये इस तरह कुल टैक्स- 3.90 रुपये
टैक्स के बाद बचे- 1.10 रुपये
पान मसाले की लागत- 1.34 रुपये, तंबाकू की लागत- 76 पैसा
कंपनी का मुनाफा प्रति पाउच- 50 पैसा
डीलर का मुनाफा प्रति पाउच- 30 पैसा
फुटकर व्यापारी का मुनाफा प्रति पाउच- 70 पैसा
पैकेजिंग पर खर्च- 5 पैसा
परिवहन पर खर्च- 2 पैसा भंडारण पर खर्च- 2 पैसा
अन्य खर्च- 5 पैसा
कुल खर्च- 3.74 रुपये
टैक्स सहित एक पाउच की लागत
फुटकर व्यापारी का मुनाफा प्रति पाउच- 70 पैसा
पैकेजिंग पर खर्च- 5 पैसा
परिवहन पर खर्च- 2 पैसा भंडारण पर खर्च- 2 पैसा
अन्य खर्च- 5 पैसा
कुल खर्च- 3.74 रुपये
टैक्स सहित एक पाउच की लागत
3.90+3.74 = 7.64 रुपये
लेकिन बिक रहा है – 5 रुपये में
लेकिन बिक रहा है – 5 रुपये में