जमीन का मिला मालिकाना हक
मुख्यमंत्री ने भू स्वामित्व योजना के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि यह योजना सालों से अपनी जमीन के मालिकाना हक से वंचितों को उनका जायज हक प्रदान कर रही है। पहले लोग किसी काम से बाहर चले जाते थे तो माफिया उनकी जमीन पर कब्जा जमा लेते थे। दस्तावेज नहीं होने के कारण कानूनी रुप से भी कमजोर हो जाते थे। अब इस दस्तावेज के आधार पर सदैव मालिक बने रहेंगे। जमीन पर कोई कब्जा नहीं जमा सकेगा। इसके साथ इस दस्तावेज के आधार बैंक से ऋण आदि प्राप्त कर सकेंगे। वहीं सीएम ने इस योजना से आम जनता को होने वाले लाभ से अवगत कराते हुए लोगों को इससे फायदे और इससे उनकी आने वाली पीढियों को होने वाले लाभ से भी अवगत कराया। सीएम ने लाभार्थियों से बातचीत कर उनके अनुभव भी लिए और उनके बेहतर भविष्य के लिए शुभकामनाएं भी दीं।
पीएम ने किया था शुभारंभ
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 11 अक्टूबर को स्वामित्व योजना का वर्चुअल माध्यम से शुभारंभ करते हुए देश के जिन छह राज्यों के 763 गांवों के लोगों को घरौनी का वितरण किया था, उनमें सबसे ज्यादा 346 गांव उत्तर प्रदेश के थे। तब यूपी के 37 जिलों के गांवों के आबादी क्षेत्रों में रहने वाले 41,431 लोगों को उनकी आवासीय संपत्ति के दस्तावेज घरौनी मुहैया कराई गई थी। आपको बता दें कि स्वामित्व योजना के तहत गांव की आबादी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को दी जाने वाली घरौनी में उसकी आवासीय संपत्ति का पूरा ब्योरा दर्ज होगा। ऐसा इसलिए ताकि संपत्ति पर अवैध कब्जे को लेकर झगड़े-फसाद की गुंजाइश न रहे।
घरौनी पर मिल सकेगा लोन
गांवों की कृषि भूमि, ग्रामसभा, बंजर आदि भूमि का रिकार्ड तो रेवन्यू विभाग के पास होता है। कृषि भूमि का मालिकाना हक दिखाने के लिए खसरा खतौनी बनाई जाती है, लेकिन आबादी में बने घरों का मालिकाना हक के लिए कोई दस्तावेजी प्रमाण नहीं होता। इससे तमाम परेशानियां सामने आती हैं। घरों का बंटवारा होने के बाद भी विवाद समाप्त नहीं होता है। इससे अदालती मुकदमें बढ़ते जा रहे हैं। इसके अलावा गांवों के घरों की यूनिक आईडी नहीं होती। मालिकाना हक नहीं होने से घरों को बैंकों में मॉर्गेज पर नहीं रखा जा सकता है। इस योजना के तहत मालिकाना हक मिलने के बाद खतौनी की तर्ज पर घरौनी बनेगी। जिसके आधार पर ग्रामीण बैंकों से लोन प्राप्त कर सकेंगे। अभी मकान के कागज न होने के कारण बैंक ग्रामीणों को उनके मकान के आधार पर पर लोन नहीं देते थे।