लखनऊ

रमा एकादशी से लेकर अक्षय नवमी तक नवंबर माह में पड़ रहे यह प्रमुख व्रत और त्योहार

November 2021 Vrat and Festivals- नवंबर माह में कई त्योहार शुरू हो रहे हैं। महीने की शुरुआत कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के साथ हो रही है। इस दिन रमा एकादशी पड़ रही है। इसके बाद दो नवंबर को धनतेरस शुरू हो जाएगा।

लखनऊOct 31, 2021 / 09:12 am

Karishma Lalwani

November 2021 Vrat and Festivals

लखनऊ. November 2021 Vrat and Festivals. नवंबर माह में कई त्योहार शुरू (November 2021 Vrat and Festivals) हो रहे हैं। महीने की शुरुआत कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के साथ हो रही है। इस दिन रमा एकादशी पड़ रही है। इसके बाद दो नवंबर को धनतेरस शुरू हो जाएगा। इसके अलावा दिवाली, कार्तिक पूर्णिमा भी शुरू हो जाएगी। आइये जानते हैं नवंबर में और कौन से त्योहार किस दिन पड़ रहे हैं।
01 नवंबर- रमा एकादशी

रमा एकादशी चतुर मास की अंतिम एकादशी होती है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है। रमा एकादशी का व्रत करने से घर में धन-धान्य की कमी नहीं होता और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
02 नवंबर- भौम प्रदोष व्रत

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस बार 2 नवंबर 2021, मंगलवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ रहा है। मंगलवार होने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत कहेंगे। मंगल ग्रह का ही एक नाम भौम है। मान्यता है कि ये व्रत हर तरह के कर्ज से छुटकारा दिलाता है। भौम प्रदोष व्रत में भगवान शिव के साथ-साथ भगवान हनुमान का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
धनतेरस

धनतेरस का त्योहार कार्तिक कृष्ण की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस साल धनतेरस 2 नवंबर को है। माना जाता है कि भगवान धन्वन्तरि इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान हाथ में अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे। उन्हें देवताओं का वैद्द माना जाता है। यही वजह है कि धनतेरस के दिन अपनी सेहत की रक्षा और आरोग्य के लिए धन्वन्तरि देव की उपासना की जाती है। इस दिन को कुबेर का दिन भी माना जाता है और धन सम्पन्नता के लिए कुबेर की पूजा की जाती है।
03 नवंबर- नरक चतुर्दशी

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी कहा जाता है। इस बार यह चतुर्दर्शी तीन नवंबर को पड़ा रहा है। इस दिन यमराज की पूजा का विधान है। नरक चतुर्दशी को नरक चौदस रूप चतुर्दशी और छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था इसलिए इसी दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है।
04 नवंबर- कार्तिक अमावस्या

कृष्ण पक्ष में आने वाली कार्तिक अमावस्या के संबंध में ऐसा माना जाता है कि इस दिन प्रेतात्माएं अधिक सक्रिय रहती हैं, अत: चौदस और अमावस्या के दिन बुरे कर्म व नकारात्मक विचारों से दूरी बनाए रखने की सलाह दी जाती है। चौदस, अमावस्या के दिन धार्मिक कार्य, मंत्र जाप तथा पूजा-पाठ अधिक से अधिक करने पर जोर दिया जाता है। पितृ तर्पण, नदी स्नान और दान-पुण्य आदि करना ज्यादा फलदायी माना जाता है। यह तिथि पितृ दोष से मुक्ति दिलाने में सहायक मानी गई है।
05 नवंबर- गोवर्धन पूजा

गोवर्धन पूजा सुबह और शाम दो समय की जाती है। सुबह में जहां भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की धूप, फल, फूल, खील-खिलौने, मिष्ठान आदि से पूजा-अर्चना और कथा-आरती करते हैं। इस वर्ष गोवर्धन पूजा के लिए सुबह का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 36 मिनट से सुबह 08 बजकर 47 मिनट तक है।
06 नवंबर- भाई दूज

गवर्धन के अगले दिन भाई दूज मनाया जाता है। भाई दूज को यम द्वितीया भी कहते हैं। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना के पूजन का विधान है। राखी के त्योहार की ही तरह इस दिन बहनें भाई के तिलक कर उसकी लंबी आयु की कामना करती हैं। इस दिन भाई बहनों से मिलने घर जाते हैं और तिलक करवाते हैं। बहनें तिलक करते समय उसकी लंबी आयु की कामना करती हैं।
10 नवंबर- छठ पर्व

छठ पर्व चार दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी और सप्तमी को मनाया जाता है। षष्ठी की शाम ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसे संध्या अर्घ्य कहते हैं। इस समय सूर्य पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, इसीलिए व्रती को प्रत्यूषा को अर्घ्य देने का लाभ भी मिलता है। मान्यता है कि शाम को सूर्य उपासना से संपन्नता आती है।
12 नवंबर- अक्षय नवमी

दीपावली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। इसे अक्षय नवमी के नाम से भी पुकारा जाता हैं। हिंदू शास्त्र के अनुसार इस दिन आंवला के वृक्ष की पूजा करने से जीवन के सभी पाप धुल जाते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी से लेकर पूर्णिमा तक भगवान श्रीविष्णु आंवला के पेड़ पर निवास करते हैं। इन दिनों आंवला के वृक्ष की पूजा करने से भगवान श्रीहरि का आशीर्वाद सदा भक्तों पर बना रहता है।
19 नवंबर- कार्तिक पूर्णिमा, गुरुनानक जयंती

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा गुरुनानक जयंती मनाई जाती है। 19 नवंबर शुक्रवार के दिन पड़ रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था और कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था। इस कारण इस पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं।
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