ऐसे पता करें कितना लगेगा टोल
इसके अलावा अगर आप एक शहर से दूसरे शहर गाडी से जा रहे हैं तो घर से निकलने से पहले आप टोल का खर्च जान सकेंगे। transportguru.in पर लॉग इन कर शहर के नाम डालते ही इनके बीच दूरी के टोल टैक्स की जानकारी मिल जाएगी। इसके अलावा टोल रेट को मोबाइल पर चेक करने के लिए 56070 पर एसएमएस भेज सकते हैं। TIS < State Code> < NH No. > लिख कर 56070 पर भेजने से आपके फ़ोन पर जानकारी मिल सकेगी।
इसके अलावा अगर आप एक शहर से दूसरे शहर गाडी से जा रहे हैं तो घर से निकलने से पहले आप टोल का खर्च जान सकेंगे। transportguru.in पर लॉग इन कर शहर के नाम डालते ही इनके बीच दूरी के टोल टैक्स की जानकारी मिल जाएगी। इसके अलावा टोल रेट को मोबाइल पर चेक करने के लिए 56070 पर एसएमएस भेज सकते हैं। TIS < State Code> < NH No. > लिख कर 56070 पर भेजने से आपके फ़ोन पर जानकारी मिल सकेगी।
सरकार एक नीति लाने की तैयारी में है। नई नीति में राजमार्गों पर दो टोल बूथों के बीच फासला कम से कम 50 किलोमीटर और ये केवल प्रमुख शहरों में हों इस पर विचार किया जा रहा है। मुख्य शहरों में 2 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों को शामिल किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्रालय में हो रही है चर्चा
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय इस प्रस्ताव पर काम कर रहा है। प्रस्ताव तैयार होने के बाद इसे मोदी कैबिनेट में पेश किया जाएगा। मंजूरी मिलने पर इसे लागू किया जा सकेगा। मौजूदा समय में व्यक्ति एक ही प्रदेश के किसी एक शहर से दूसरे शहर का सफर करता है तो उसे कई बार टोल देना होता है क्योंकि अक्सर हर 50 किलोमीटर पर एक टोल प्लाजा मौजूद है। कई राज्यों से लिए गए फीडबैक में बात सामने आई है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय इस प्रस्ताव पर काम कर रहा है। प्रस्ताव तैयार होने के बाद इसे मोदी कैबिनेट में पेश किया जाएगा। मंजूरी मिलने पर इसे लागू किया जा सकेगा। मौजूदा समय में व्यक्ति एक ही प्रदेश के किसी एक शहर से दूसरे शहर का सफर करता है तो उसे कई बार टोल देना होता है क्योंकि अक्सर हर 50 किलोमीटर पर एक टोल प्लाजा मौजूद है। कई राज्यों से लिए गए फीडबैक में बात सामने आई है।
वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक़ एक ही राज्य में यात्रा करने वाले व्यक्ति को 3 से 4 बार टोल क्यों देना पड़ता है? टोल केवल प्रमुख शहरों के बीच वसूला जाना चाहिए। नयी व्यवस्था लागू होते ही ये व्यवस्था बदलेगी। उनके मुताबिक़ इस प्रस्ताव पर अभी काम चल रहा है। इसे बीओटी परियोजनाओं की तुलना में ईपीसी अनुबंध के तहत आसानी से लागू किया जा सकता है। ये आसान इसलिए भी है क्योंकि इसमें कई डेवलपर हो सकते हैं। इलेक्ट्रॉनिक टोल वसूली के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर यात्रा को सुगम बनाने की दिशा में यह दूसरा अहम कदम होगा।
बताते चलें अगस्त में एनएचएआई ने दो मोबाइल ऐप – माईफास्टैग और फास्टैग पार्टनर शुरू किए थे। इनका मकसद इलेक्ट्रॉनिक टोल भुगतान की सुविधा प्रदान करना है। फास्टैग को वाहन के शीशे पर लगाया जा सकता है और इसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिऊिकेशन तकनीक के ज़रिये टोल शुल्क कटौती होती है।