बिजली बिल बाकी तो नहीं बनेंगे प्रमाणपत्र दरअसल लंबे समय तक भुगतान नहीं किए जाने से उपभोक्ताओं का काफी बिजली का बिल बकाया हो जाता है। जिसकी रिकवरी के दौरान उसकी बिजली काट दी जाती है। कुछ मामलों में तो आरसी भी जारी की जाती है। ऐसे मामलों में उपभोक्ताओं को बिजली की सुविधा नहीं मिल पाती। वहीं उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (Uttar Pradesh Power Corporation Limited) के सामने भी नकद धनराशि की समस्या खड़ी हो जाती है और कारपोरेशन को बिजली खरीदने में परेशानी होने लगती है। इसको देखते हुए एक अक्तूबर से सभी तरह के प्रमाणपत्र बनवाने में बिजली बिल के बकाया न होने संबंधी प्रमाणपत्र संलग्न करना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके पीछे सरकार की मंशा है कि उपभोक्ताओं से जब प्रमाणपत्र बनवाने के समय बिजली बिल के जमा होने का शपथपत्र लिया जाएगा तो सभी समय से अपना बिल जमा करने लगेंगे।
देना होगा ये शपथपत्र इस नियम के बाद से राज्य सरकार द्वारा जन सुविधा केन्द्रों, तहसील, कलेक्ट्रेट समेत दूसरे विभागों के माध्यम से आमजन को दी जाने वाली सेवाओं का प्रार्थना पत्र देते समय आवेदक को साथ एक प्रमाण पत्र देना होगा। इसमें लिखा हुआ होगा कि आवेदक द्वारा या उसके परिजन (जिसके नाम से भवन/आवास है) का बिजली बिल (प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करते समय की तिथि से पूर्व के माह का) जमा कर दिया गया है।
इन प्रमाणपत्रों के लिये बिजली बिल जरूरी – राजस्व विभाग द्वारा जाति प्रमाण पत्र (Caste Certificate), – आय प्रमाण पत्र (Income Certificate), – निवास प्रमाण पत्र (Residence Certificate), – हैसियत प्रमाणपत्र (Haisiyat Certificate),