यूपी में 89 कृषि विज्ञान केंद्रों को दी गई जिम्मेदारी
उत्तर प्रदेश में 89 कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) हैं। किसानों की आय में वृद्धि करने की योगी सरकार की योजना के तहत से कृषि विज्ञान केंद्र अपने कार्य क्षेत्र के दो-दो गांवों को गोद लेंगे। केंद्र के वैज्ञानिक किसानों को रबी फसल सत्र 2024-25 को लेकर नई-नई तकनीकों से अवगत भी कराएंगे। कृषि विज्ञान केंद्रों के द्वारा किसानों तक नई तकनीक पहुंचाने, उनके उपयोग के लिए क्षमता संवर्धन और प्रशिक्षण करते हुए प्रगतिशील किसानों को कृषि प्रसार से जोड़ने पर विभाग का जोर है। कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से प्रगतिशील किसानों के अनुभवों के जरिए अन्य किसानों को भी नई तकनीक से लाभान्वित किया जाएगा। किसानों को कृषि अनुसंधान में हो रहे नवाचार, नई तकनीकी पद्धतियों से जानकारी और रोजगार से जुड़े व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिए जाएंगे। यह भी पढ़ें
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इन फसलों का उत्पादन बढ़ाने पर योगी सरकार का जोर
दलहन (चना, मटर, मसूर आदि) और तिलहन (सरसों, अलसी आदि) के प्रदर्शन पर भी जोर रहेगा। किसान उच्च स्तर की उत्पादकता पर जोर दें, इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र मिलेट्स, खाद्यान्न फसलों और औद्यानिक फसलों के बीज उत्पादन तथा नर्सरी उत्पादन का कार्य भी करेंगे। रबी सत्र में फसलों की बुआई से पहले, बुआई के समय और कटाई से पहले किसानों के अध्ययन भ्रमण, गोष्ठी और कृषि वैज्ञानिकों से संवाद होंगे। कृषि मेलों और गांवों में कृषि प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी। केवीके गांवों में कृषि, पशुपालन और उद्यान की गतिविधियों और कृषि आधारित उद्यमों के संबंध में तैयार तकनीकी साहित्य से भी किसानों को अवगत कराएंगे।फसल उत्पादन बढ़ने से किसानों की बढ़ेगी आय
केंद्र की तरफ से कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) के व्यावसायिक गतिविधियों को गति देते हुए फसल विशेष को बढ़ावा दिया जाएगा। इसका उद्देश्य संगठन को भी आर्थिक रूप से समृद्ध करना है। केंद्रों का ऑन फार्म डेमोंसट्रेशन, पैकेज ऑफ प्रैक्टिसेज, वैल्यू एडिशन, एफपीओ, प्राकृतिक खेती, आईपीएम, मृदा परीक्षण और उर्वरकों के संतुलित प्रयोग आदि से जुड़े कार्यों पर भी जोर रहेगा। यह भी पढ़ें