एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2017 में यूपी में महिलाओं से सम्बंधित अपराध के 56011 मामले दर्ज हुए थे। वर्ष 2018 में यह संख्या 59445 और वर्ष 2019 में 59853 पहुंच गया। यूपी पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2020 में छेड़खानी के 2441, वर्ष 2019 में 1857, वर्ष 2018 में 1328, वर्ष 2017 में 993 और वर्ष 2016 में छेड़खानी के 609 मामले दर्ज किए गए थे। आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2016 और वर्ष 2020 के बीच छेड़खानी की घटनाओं में 300.82 फीसदी इजाफा हुआ। वहीं, वर्ष 2019 और 2020 के बीच छेड़खानी की घटनाओं में 31.45 फीसदी इजाफा हुआ।
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1090 पर दर्ज हो रही शिकायतें
महिला अपराधों से जुड़ी शिकायतों की बात करें तो महिला हेल्पलाइन 1090 को वर्ष 2018 में 2 लाख 66 हजार 5 शिकायतें मिलीं। वर्ष 2019 में यहां 2 लाख 79 हजार 157 और वर्ष 2019 में सामने आये कुल मामलों में 1 लाख 97 हजार 750 मामले फोन और सोशल मीडिया पर छेड़खानी के थे।
फेक आईडी से छेड़खानी करने वालों पर ऐसे नकेल कस रही पुलिस
वूमेन पावर लाइन की एडीजी नीरा रावत ने बताया कि सोशल मीडिया से छेड़खानी की घटनाओं पर नकेल कसी जा रही है। कोशिश है कि महिलाओं और लड़कियों को सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक सुरक्षित होने का एहसास कराया जा सके। उन्होंने बताया कि फर्जी नाम से आईडी बनाने वालों की पहचान करने के लिए ऑफेंडर आईडेंटिटी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसके जरिए पुलिस फेक प्रोफाइल से मैसेज भेजने वालों तक भी पहुंच रही है। शुरुआत में उन्हें चेतावनी दी जाती है, नहीं सुधरने पर स्थानीय पुलिस की मदद से आरोपितों को जेल भेजा जा रहा है।
वूमेन पावर लाइन की एडीजी नीरा रावत ने बताया कि सोशल मीडिया से छेड़खानी की घटनाओं पर नकेल कसी जा रही है। कोशिश है कि महिलाओं और लड़कियों को सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक सुरक्षित होने का एहसास कराया जा सके। उन्होंने बताया कि फर्जी नाम से आईडी बनाने वालों की पहचान करने के लिए ऑफेंडर आईडेंटिटी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसके जरिए पुलिस फेक प्रोफाइल से मैसेज भेजने वालों तक भी पहुंच रही है। शुरुआत में उन्हें चेतावनी दी जाती है, नहीं सुधरने पर स्थानीय पुलिस की मदद से आरोपितों को जेल भेजा जा रहा है।