लखनऊ

यूपी के डिग्री कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफसरों की भर्ती प्रक्रिया रुकी, फिर से जारी होगी मेरिट लिस्ट

– राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण के प्रावधानों को ताक पर रखा गया- जून 2019 में उत्तर प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में विभिन्न विषयों के लिए 865 पदों पर असिस्टेंट प्रोफेसर्स की भर्ती का निकला था विज्ञापन

लखनऊSep 12, 2019 / 02:36 pm

Hariom Dwivedi

उत्तर प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में आरक्षण के प्रावधानों को ताक पर असिस्टेंट प्रोफेसरों की चयन प्रक्रिया चलाई गई।

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के डिग्री कॉलेजों (Uttar Pradesh Degree College) में आरक्षण के प्रावधानों को ताक पर असिस्टेंट प्रोफेसरों (Assistant professor) की चयन प्रक्रिया चलाई गई। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) की सुनवाई में सामने आया है कि असिस्टेंट प्रोफेसरों के चयन में आरक्षण के प्रावधानों का जमकर उल्लंघन हुआ है। मामला सामने आने के बाद एनसीबीसी (National Commission for Backward Classes) ने भर्ती के लिए चल रही साक्षात्कार प्रक्रिया को तत्काल रोकने का आदेश दिया है। साथ ही आरक्षण के प्रावधानों के मुताबिक लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की सूची बनाकर साक्षात्कार कराने को कहा है। गौरतलब है कि जून 2019 में निकले विज्ञापन के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में विभिन्न विषयों के लिए 865 पदों पर असिस्टेंट प्रोफेसर्स की नियुक्ति की जानी थी। इन पदों के लिए लिखित परीक्षा के बाद साक्षात्कार की प्रक्रिया चल रही है।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) में याचिका दायर करते हुए शिकायत की गई थी कि असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती प्रक्रिया में ओबीसी, एससी-एसटी वर्ग के अभ्यर्थियों को उनके कोटे में उत्तीर्ण कराया गया है, सामान्य पदों पर नहीं, जिसकी वजह से ओबीसी अभ्यर्थियों को अनारक्षित सीटों पर चयनित अभ्यर्थियों से ज्याद अंक मिलने के बावजूद साक्षात्कार के लिए आमंत्रित नहीं किया गया। बीते छह सितंबर को एनसीबीसी ने शिकायत पर सुनवाई की। इस दौरान उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग (Uttar Pradesh Higher Education Service Commission) की सचिव अपना पक्ष रखा, जिसमें वह कोई प्रासंगिक अभिलेख प्रस्तुत नहीं कर पाये। इसके बाद आयोग ने तत्काल साक्षात्कार प्रक्रिया रोकने और अगली सुनवाई की तिथि 11 सितंबर को निर्धारित की थी।
फिर से जारी होगी मेरिट लिस्ट
आयोग के सूत्रों की मानें तो उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग (UPHESC) की सचिव ने एनसीबीसी को लिखित में बताया कि जून 2018 में एक आंतरिक बैठक में यह फैसला किया गया था कि आरक्षित वर्ग के लोगों का चयन आरक्षित श्रेणी में ही किया जाएगा। मामले की सुनवाई एनसीबीसी (National Commission for Backward Classes) के अध्यक्ष डॉ. भगवान लाल साहनी और सदस्य कौशलेंद्र सिंह पटेल की बेंच ने की। एनसीबीसी ने पाया कि इस फैसले में आरक्षण के तमाम प्रावधानों व न्यायालय के फैसलों का उल्लंघन हुआ है। इसके बाद राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) ने संवैधानिक शक्तियों का हवाला देते हुए विज्ञापन संख्या 47 की साक्षात्कार प्रक्रिया को अविलंब स्थगित करने की अनुशंसा की है। एनसीबीसी ने आरक्षण अधिनियमों व आदेशों के मुताबिक साक्षात्कार के लिए लिखित परीक्षा परिणाम की फिर से मेरिट सूची बनाने को कहा है। इसमें अनारक्षित संवर्ग की अंतिम कट ऑफ के बराबर या उससे अधिक अंक पाने वाले समस्त अभ्यर्थियों (ओबीसी, एससी-एसटी) को साक्षात्कार हेतु आमंत्रित किया जाए।

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