ये भी पढ़ें- सजा नहीं मौज का अड्डा बना जेल परिसर, कैदी कर रहे हैं ऐसा गलत काम, तस्वीरें वायरल होने पर यूपी पुलिस में हड़कंप अब शहरों का कर रहे रुख-
अकसर आदिवासियों, गरीबों और समाज से प्रताडि़त लोगों को अपनी मुहिम में शामिल कर उनका इस्तेमाल करने वाले नक्सली अब उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के पिछड़े इलाकों को पहले अपना निशाना बनाएंगे। अपनी विचारधारा से लोगों के मस्तिष्क पर कब्जा करना नक्सलियों का पुराना हथियार रहा है। वे इसका यूपी में भी इस्तेमाल करेंगे। यूपी के पूर्व डीजीपी एके जैन (AK Jain) ने इस पर चिंता जताई है। उनका मानना है कि यह लोग शहरों में रहने आ चुके हैं। वहीं सूत्रों के अनुसार नक्सलियों की टीम टूट जाने की वजह से फिर से एक नई टीम बनाने को लेकर नक्सली शहरों की तरफ रूख कर रहे हैं। ऐसे में यूपी में एक बार फिर से लाल सलाम की दस्तक सुनाई पड़ रही है। हालांकि अभी पुलिस के आला अधिकारी इस पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं, लेकिन इस पर आगे भी कार्यवाही करने की बात जरूर कर रहे हैं।
अकसर आदिवासियों, गरीबों और समाज से प्रताडि़त लोगों को अपनी मुहिम में शामिल कर उनका इस्तेमाल करने वाले नक्सली अब उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के पिछड़े इलाकों को पहले अपना निशाना बनाएंगे। अपनी विचारधारा से लोगों के मस्तिष्क पर कब्जा करना नक्सलियों का पुराना हथियार रहा है। वे इसका यूपी में भी इस्तेमाल करेंगे। यूपी के पूर्व डीजीपी एके जैन (AK Jain) ने इस पर चिंता जताई है। उनका मानना है कि यह लोग शहरों में रहने आ चुके हैं। वहीं सूत्रों के अनुसार नक्सलियों की टीम टूट जाने की वजह से फिर से एक नई टीम बनाने को लेकर नक्सली शहरों की तरफ रूख कर रहे हैं। ऐसे में यूपी में एक बार फिर से लाल सलाम की दस्तक सुनाई पड़ रही है। हालांकि अभी पुलिस के आला अधिकारी इस पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं, लेकिन इस पर आगे भी कार्यवाही करने की बात जरूर कर रहे हैं।
ये भी पढ़ें- विधानसभा उपचुनाव को लेकर सपा ने सबसे पहले जारी किया बड़ा बयान, अखिलेश ने 12 प्रत्याशियों को लेकर की बहुत बड़ी घोषणा यूपी के यह शहर है नक्सलियों के निशाने पर-
सूत्रों के अनुसार यूपी के वाराणसी (Varanasi), कानपुर (Kanpur), चंदौली (Chandauli), देवरिया (Deoria), लखनऊ (Lucknow), मिर्जापुर (Mirzapur) और जौनपुर (Jaunpur) जैसे शहरों में नक्सली कार्यकर्ताओं को ग्राउड स्टडी के लिए भेजा गया है। वे फायनल असॉल्ट करने की फिराक में हैं। इसके जरिए अब वह देश की आर्थिक राजधानी में अपनी कार्रवाई करेंगे जिससे ताकि केंद्र और राज्य सरकार पर अपने मांगों को लेकर वे दबाव बना सके। इजी हाईड आउट के लिए वे शहरों के झुग्गी झोपडि़यों का सहारा लेंगे और गरीब लोगों को सरकार के खिलाफ भड़काकर उन्हें हमले के लिए तैयार करेंगे।
ये भी पढ़ें- शिवपाल सिंह यादव का बड़ा यू-टर्न, 12 सीटों पर उपचुनाव को लेकर की बड़ी घोषणा इन लोगों का करते हैं नक्सली इस्तेमाल- लाल झंडा नक्सलियों की पहचान है। वह आतंक का दूसरा नाम है। लोग उनसे भय खाते हैं। सरकार के लिए अकसर अपनी मांगों को लेकर नक्सली कोई न कोई बड़ा बवाल खड़ा करते रहते हैं। वह इसके लिए गरीबों का इस्तेमाल करते हैं। उनके निशाने पर आदिवासियों, गरीबों और समाज से प्रताड़ित लोग रहते हैं, जिनको वो उनका हक दिलाने का झूठा वादा करते हुए सरकार के खिलाफ अपनी मुहिम में शामिल करते हैं।