लखनऊ

नवरात्री पर दिखें माँ भवानी के कई रूप देखें तस्वीरें

आसुरी प्रवर्तियों का संहार बन्दूक या शास्त्रों से नहीं, योग बल द्वारा ही किया जा सकता है। स्व परिवर्तन से ही स्वर्णिम भारत की स्थापना होनी है.

Oct 15, 2018 / 04:15 pm

Mahendra Pratap

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गोमतीनगर सेंटर इंचार्ज ब्रह्माकुमारी राधा बहन ने बताया कि जब-जब धरती पर आसुरी शक्तियां बढ़ती हैं, तब-तब भगवान शिव ने शक्तियों का उदभव किया है. कन्या रूप में ये मात्र शक्तियां विभिन्न गुणों की परिचायक हैं. जैसे दुर्गुणों को दूर करने वाली माँ दुर्गा, ज्ञान की वीणा बजाने वाली माँ सरस्वती, ज्ञान धन लुटाने वाली माँ लक्ष्मी, गायन योग्य बनाने वाली माँ गायत्री आदि।

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उन्होंने कहा कि आसुरी प्रवर्तियों का संहार बन्दूक या शास्त्रों से नहीं, योग बल द्वारा ही किया जा सकता है। स्व परिवर्तन से ही स्वर्णिम भारत की स्थापना होनी है. इस अवसर पर गणमान्यों अतिथियों में गुजरात से पधारी ब्रह्माकुमारी प्रभा बहन, आईऍमआरटी के बंसल, टेक्नो यूनिवर्सिटी के रवीन्द्र , गन्ना मंत्री सुरेश राणा की धर्मपत्नी उपस्थित रहीं ।

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बड़ी संख्या में उपस्थित दर्शकों को यहाँ सुन्दरता, भव्यता और दिव्यता के वातावरण तथा सुख के वाइब्रेशन का अनुभव हो रहा है. अपने-अपने विशेष आसनों पर सम्पूर्ण श्रृंगार के साथ विराजमान चैतन्य देवियाँ माँ दुर्गा, सरस्वती, काली, लक्ष्मी, काली, गायत्री, उमा और माँ वैष्णवी देवी सभी को यह सन्देश दी रहीं हैं की हर आत्मा, चाहे पुरुष की हो, चाहे स्त्री की हो, अपने जीवन में दिव्यता के गुणों को धारण कर देव पद प्राप्त कर सकती हैं ।

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झांकी में ज्ञान गंगा के रूप में ब्रह्माकुमारी बहन को विराजमान किया गया जो इन पूज्य देवियों का वर्तमान स्वरुप हैं. देवता पद पाने के लिए परमपिता परमात्मा शिव से जुड़कर स्वयं को आत्मशक्ति से भरपूर करना है. शक्ति का पावरहाउस (स्रोत) भगवान शिव हैं. उनसे प्राप्त शक्तियों द्वारा बड़ी से बड़ी समस्या, विषम परिस्थितयां, पांच विकार(काम, क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार) रुपी राक्षसों को आसानी से पराजित किया जा सकता है ।

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हमारे समाज में पुरूषों को बुद्धिमान, शक्तिमान और धनवान माना जाता है पर बुद्धि के लिए वे माँ सरस्वती, शक्ति के लिए माँ दुर्गा और धन के लिए माँ सरस्वती की शरण में जाते हैं । यह मात्रशक्ति नारी के महत्व को बताने के लिए पर्याप्त है. पर विडम्बना है की आज समाज में स्त्री को वह सम्मान व स्थान नहीं मिल रहा. वस्तुतः नवरात्र पर नारी सशक्तिकरण की अवधारणा को मूर्त करने का समय है

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नारी को स्वयं सशक्त होना होगा. भगवान शिव से शक्ति का आह्वाहन कर अपने लक्ष्मी, सरस्वती, दुर्गा के पूज्य स्वरुप को पुनः हासिल करना ही होगा ।

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इस अवसर पर एक आहुति कुंड भी रखा गया है, जिसमें लोगों से आग्रह किया जा रहा है की वह अपनी कमी कमजोरियों को इस यज्ञ कुंड में स्वाहा कर उनसे मुक्त होने का संकल्प करें ।

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