प्रदेश अध्यक्ष रहते महेंद्र नाथ पाण्डेय का भाजपा की जीत और पार्टी में अहम योगदान रहा है। 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा ने केशव प्रसाद मौर्या को प्रदेश अध्यक्ष बनाया लेकिन उप मुख्यमंत्री बनते ही उन्हें इस पद को अलविदा करना पड़ा। इसके बाद मोदी सरकार में राज्यमंत्री रहे महेंद्र नाथ पाण्डेय को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई।
बीएचयू से राजनीतिक ककहरा सीखने वाले महेंद्र नाथ पाण्डेय का राजनीतिक करियर का लंबा और अहम योगदान रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से सटे चंदौली का सांसद होने के नाते भी उन्हें लाभ मिला। इस सीट से लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कर महेंद्र नाथ पाण्डेय ने रिकार्ड तोड़ा। 91 से लेकर 98 तक लगातार तीन बार इस सीट पर भाजपा का खाता खुला। इसके बाद सपा और बसपा का इस सीट पर दबदबा रहा। 2014 में यहां पर भाजपा का खाता खुल सका।
महेंद्र नाथ पाण्डेय की जगह किस नाम पर मुहर लगेगी, इस पर संशय बना हुआ है। विधानसभा चुनाव 2022 में होना है। ऐसे में पार्टी इसी बात को ध्यान में रखकर प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव करना चाहती है। यह जिम्मेदारी किसी ऐसे व्यक्ति को दी जा सकती है, जो दलितों का वोट साधने में कार्य कर सके और साथ ही जो ज्यादा विवादों से घिरा न रहा हो।
ये नाम चर्चा में महेंद्र नाथ पाण्डेय की जगह पार्टी अब एक ऐसे व्यक्ति को देना चाहती है, जो सवर्ण और पिछड़ों के साथ दलित वोट बैंक को सहेज कर रख सके। अध्यक्ष पद के लिए गौतमबुद्धनगर के सांसद डॉ. महेश शर्मा (Mahendra Sharma) का नाम चर्चा में है। उनके पास सरकार का पांच साल का अनुभव है। वह संगठन के भी व्यक्ति माने जाते हैं। गौतमबुद्धनगर के सांसद डॉ. महेश शर्मा इस बार रिकॉर्ड 3.36 लाख वोटों से जीते हैं। वह 2014-2019 के कार्यकाल में महेश केंद्र में मंत्री बने थे और तीन-तीन मंत्रालयों का कामकाज देख चुके हैं। उन्हें राज्यमंत्री के साथ-साथ स्वतंत्र प्रभार मंत्री का प्रभार भी मिल चुका है।
ये भी चर्चा में महामंत्री विजय बहादुर पाठक (Vijiay Bahadur Pathak) भी अध्यक्ष पद के लिए संगठन की नजर से उपयुक्त माने जा रहे हैं। पाठक की जिले से लेकर प्रदेश स्तर तक मजबूत पकड़ के चलते उन्हें इस पद के काबिज माना जा रहा है। पिछले एक दशक से वे लगातार प्रदेश संगठन में विभिन्न पदों पर काम करते रहे हैं। इसी प्रकार अगर बीजेपी पिछड़े चेहरों में दांव लगाने की सोचेगी तो सबसे पहला नाम स्वतंत्र देव सिंह का है। वह योगी सरकार में परिवहन मंत्री और मध्यप्रदेश के प्रभारी भी हैं। इसी के साथ आगरा से सांसद एसपी सिंह बघेल और मंत्री दारा सिंह चौहान का नाम भी चर्चा में है।
विधानसभा में बीजेपी विधायक दल के नेता प्रेम कुमार (Prem Kumar) अति पिछड़ी और विधानमंडल दल के नेता सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) पिछड़ी बिहरादरी के हैं। इस समीकरण को ध्यान में रखकर अध्यक्ष का पद किसी सवर्ण को देने की वकालत की जा रही है।