मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. मोइन अहमद खान ने कहा कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के नाम पर 50 हजार मस्जिदों के मंदिर होने के दावा देश को कहा ले जाकर खड़ा करने की रणनीति है। इतिहास को एक चश्मे से देखने की राजनीति बंद होनी चाहिए। सत्ता की महत्वाकांक्षी राजनीति को वर्तमान में खड़े होकर भविष्य की तरफ निहारना चाहिये। मुल्क का भला मंदिर-मस्जिद की राजनीति से करने की सोच का विचार दिमाग से निकालने की जरूरत है। उन्होने कहा कि विवादित मसलों का हल सनसनी फैलाकर नहीं सरकार को आगे आकर मध्यस्थता करनी चाहिए। वह संसद द्वारा अधिनियमित अधिनियम के अंतर्गत मस्जिदों के केयर टेकर राज्यों के मुस्लिम वक्फ बोर्ड व मस्जिदों के मंदिर होने के दावेदारों के मध्य इसे बातचीत कर हल कराए। ताजमहल, कुतुबमीनार मुसलमानों की नही बल्कि राष्ट्रीय धरोहर है और भारत की धरोहर होने के साथ पुरातत्व विभाग के नियंत्रण में है।
वक्फ बोर्ड लड़े मस्जिदों की लड़ाई
एमपीएलबीआई के महासचिव ने कहा कि जिस ज्ञानवापी मस्जिद से शुरू हुआ विवाद 50 हजार मस्जिदों तक पहुच रहा है और धर्म की राजनीति हो रही यह दुखद है देश के पीएम व सीएम को मौन तोडऩा चाहिए। बोर्ड ने उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड से भी कहा है वह मस्जिदों के संरक्षण व अपनी इबादतगाह होने का कानूनी दावा अच्छे अधिवक्ताओं से अदालतों में रखवाएञ वक्फ बोर्ड निष्क्रिय नजर आ रहा।
इबादतगाहों का हो संरक्षण
बोर्ड ने कहा है कि संविधान कानून के अंतर्गत मुस्लिम समुदाय की इबादतगाहों के संरक्षण की मांग करते हुए कहा कि उसका काम समाधान होना चाहिए। बोर्ड ज्ञानवापी मस्जिद सहित अन्य इबादतगाहों के मसले पर देशभर के पदाधिकारियों बुद्धजीवियों, स्कालर्स व इतिहासकारों से इस संबंध में वच्र्युअल मीटिंग की तैयारी कर रहा है।