शिवपाल यादव ने कहा कि घर वापसी (समाजवादी पार्टी) का कोई इरादा नहीं है। सिर्फ अफवाह उड़ रही है। उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश की 11 सीटों पर उपचुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। प्रदेश भर के कार्यकर्ताओं को अलग-अलग बुलाकर समीक्षा की जा रही है। साथ ही कार्यकर्ताओं को अभी से 2022 की तैयारियों में जुटने का आह्रवान किया गया है। उन्होंने कहा कि 2022 में प्रसपा लोहिया सूबे की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उधर, मुलायम सिंह यादव बेटे अखिलेश संग मिलकर समाजवादी पार्टी का कील-कांटा दुरुस्त करने में जुटे हैं।
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मुलायम ने अखिलेश को दिया था यह मंत्रलोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की हार और और बसपा प्रमुख मायावती के रवैये से आहत अखिलेश यादव सपा कार्यकर्ताओं की मीटिंग कर रहे हैं। बैठकों में सपा के दिग्गज नेताओं के अलावा मुलायम सिंह यादव भी शामिल हुए। पार्टी सूत्रों की मानें तो मुलायम ने कहा कि नाराज पुराने सपाइयों को फिर से सपा में लाया जाए। खासकर शिवपाल के ससम्मान वापसी पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि शिवपाल यादव सहित पुराने सपाइयों के साथ आने से पार्टी और मजबूत होगी, लेकिन शिवपाल के हालिया बयान ने यादव परिवार में एका की अटकलों को पूरी तरह से खारिज कर दिया।
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कई सीटों पर पर प्रसपा ने बिगाड़ा गठबगंधन का खेल2019 के लोकसभा चुनाव में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया ने 55 सीटों पर चुनाव लड़ा था। शिवपाल समेत पार्टी का कोई प्रत्याशी चुनाव तो नहीं जीत सका, लेकिन प्रसपा प्रत्याशियों ने कई सीटों पर गठबंधन का खेल जरूर बिगाड़ दिया। बसपा की बैठक में खुद मायावती ने कहा कि शिवपाल यादव ने कई जगहों पर यादव वोट बीजेपी में ट्रांसफर करा दिये। फिरोजाबाद में शिवपाल यादव को 91,651 वोट मिले, जबकि समाजवादी पार्टी के अक्षय यादव भाजपा प्रत्याशी डॉ. चंद्रसेन जादौन से महज 28,781 वोटों से हार गये। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि फिरोजाबाद में शिवपाल यादव ने समाजादी पार्टी के प्रत्याशी को हराने का काम किया। खुद शिवपाल भी भतीजे अक्षय यादव को हराने के लिए ही यहां से चुनाव लड़े थे।
विधानसभा चुनाव से पहले शुरू हुई थी यादव परिवार में रार
2017 के विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और शिवपाल यादव सपा के प्रदेश अध्यक्ष थे। विवाद चुनाव के लिये कैंडिडेट घोषित करने पर हुआ। शिवपाल और अखिलेश दोनों ने अलग-अलग विधानसभा कैंडिडेट की लिस्ट घोषित की। विवाद बढ़ा तो अखिलेश ने शिवपाल के करीबियों को मंत्रिमंडल से निकाला। शिवपाल ने भी अखिलेश के कई चहेते नेताओं को सपा से बाहर कर दिया। परिवार की लड़ाई राजनीतिक गलियारों की सुर्खियां बन गई। अखिलेश ने रामगोपाल यादव संग मिलकर पिता मुलायम सिंह यादव को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाते हुए खुद कुर्सी हथिया ली। इतना ही नहीं उन्होंने शिवपाल यादव को प्रदेश अध्यक्ष पद हटाकर नरेश उत्तम को को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया। विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की करारी हार हुई। पार्टी निकाय चुनाव भी हारी। उसके बाद से शिवपाल यादव लगातार अखिलेश पर मुलायम को अध्यक्ष पद देने को लेकर दबाव बनाते दिखे। लोकसभा चुनाव से पहले शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया बनाई और सूबे की 55 सीटों पर पार्टी के प्रत्याशियों को उतारा।
2017 के विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और शिवपाल यादव सपा के प्रदेश अध्यक्ष थे। विवाद चुनाव के लिये कैंडिडेट घोषित करने पर हुआ। शिवपाल और अखिलेश दोनों ने अलग-अलग विधानसभा कैंडिडेट की लिस्ट घोषित की। विवाद बढ़ा तो अखिलेश ने शिवपाल के करीबियों को मंत्रिमंडल से निकाला। शिवपाल ने भी अखिलेश के कई चहेते नेताओं को सपा से बाहर कर दिया। परिवार की लड़ाई राजनीतिक गलियारों की सुर्खियां बन गई। अखिलेश ने रामगोपाल यादव संग मिलकर पिता मुलायम सिंह यादव को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाते हुए खुद कुर्सी हथिया ली। इतना ही नहीं उन्होंने शिवपाल यादव को प्रदेश अध्यक्ष पद हटाकर नरेश उत्तम को को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया। विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की करारी हार हुई। पार्टी निकाय चुनाव भी हारी। उसके बाद से शिवपाल यादव लगातार अखिलेश पर मुलायम को अध्यक्ष पद देने को लेकर दबाव बनाते दिखे। लोकसभा चुनाव से पहले शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया बनाई और सूबे की 55 सीटों पर पार्टी के प्रत्याशियों को उतारा।
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