ज्ञात हो कि भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान 1992 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने नकल विहीन परीक्षा के लिए नकल अध्यादेश लागू किया था। उस दौरान यूपी सरकार में राजनाथ सिंह शिक्षा मंत्री हुआ करते थे। हालांकि नकल अध्यादेश को कल्याण सिंह के दिमाग की उपज बताया गया था। नकल अध्यादेश लागू होने के बाद 1992 की यूपी बोर्ड परीक्षा में हाईस्कूल का रिजल्ट महज 14.70 प्रतिशत तो इंटरमीडिएट का परीक्षा परिणाम केवल 30.30 प्रतिशत रहा था। उस दौरान कई स्कूलों में एक भी नहीं तो कई में एक-दो छात्र ही पास हो सके थे। लाखों छात्रों को असफलता के कारण निराशा हाथ लगी थी। जबकि नकल करने के आरोप में पकड़े गए छात्रों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश भी दिए गए थे।
यह भी पढ़े – सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का लंबी बीमारी के बाद निधन चुनाव में जनता से किया वादा, सत्ता में आते ही किया पूरा मुलायम सिंह यादव अच्छे से लोगों की नब्ज जानते थे। यही वजह है कि मुलायम सिंह ने 1993 के विधानसभा के चुनाव के दौरान चुनावी सभाओं में ही जनता से वादा कर दिया था कि सरकार बनते ही सबसे पहले नकल अध्यादेश को वापस लिया जाएगा और पुरानी व्यवस्था बहाल हो जाएगी। इसी मास्टरस्ट्रोक के बूते मुलायम सिंह ने जनता के दिल के साथ चुनाव भी जीता।
यह भी पढ़े – …तो पत्नी साधना गुप्ता की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर सके मुलायम सिंह लाखों छात्रों के चेहरों पर लौटी मुस्कान मुलायम सिंह यादव ने सरकार बनते ही अपना वादा पूरा किया। उन्होंने इलाहाबाद पहुंचकर नकल अध्यादेश को वापस लेने की बड़ी घोषणा की। जिसके बाद लाखों छात्रों के चेहरों पर मुस्कान लौट आई थी।