पिछले चुनाव में जीत-हार का रिकॉर्ड देखें तो कई जगहों पर सपा और बसपा के उम्मीदवार काफी कम मार्जिन से हारे थे। अगर इस बार उन्होंने उस अंतर को पूरा कर लिया तो मध्य प्रदेश में सरकार बनाने का कांग्रेस का सपना टूट सकता है।
कांग्रेस को पटखनी देना चाहती है सपा
राजनीतिक जानकर कहते हैं कि मध्य प्रदेश के चुनावी रण में सपा भाजपा के साथ कांग्रेस को भी पटखनी देने की योजना पर काम कर रही है। कांग्रेस के साथ गठबंधन न होने पर 230 सीटों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए अब तक 33 प्रत्याशी सपा घोषित कर चुकी है।
राजनीतिक जानकर कहते हैं कि मध्य प्रदेश के चुनावी रण में सपा भाजपा के साथ कांग्रेस को भी पटखनी देने की योजना पर काम कर रही है। कांग्रेस के साथ गठबंधन न होने पर 230 सीटों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए अब तक 33 प्रत्याशी सपा घोषित कर चुकी है।
बसपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का है गठबंधन
अगर 2018 के चुनावी आंकड़ों को देखें तो सपा के चुनावी मैदान में होने से कांग्रेस को कई सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा था। इस बार भी सपा अकेले लड़ रही है। कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन में बसपा को शामिल करने की हसरत पाल रखी है। लेकिन मध्य प्रदेश में बसपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी आपस में मिलकर चुनाव मैदान में है। बसपा 178 और जीजीपी 52 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार रही है।
अगर 2018 के चुनावी आंकड़ों को देखें तो सपा के चुनावी मैदान में होने से कांग्रेस को कई सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा था। इस बार भी सपा अकेले लड़ रही है। कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन में बसपा को शामिल करने की हसरत पाल रखी है। लेकिन मध्य प्रदेश में बसपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी आपस में मिलकर चुनाव मैदान में है। बसपा 178 और जीजीपी 52 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार रही है।
2018 विधानसभा चुनाव में 2 सीटों पर जीती थी बसपा
बसपा ने 2018 में यहां दो सीटें जीती थी। एक भाजपा में शामिल हो गया था। पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा ने भिंड और मुरैना के रास्ते मध्य प्रदेश में प्रवेश किया था। इन दोनों जिलों में इसका प्रभाव भी अच्छा खासा रहा है। पिछले 30 सालों में मप्र विधानसभा चुनाव में भिंड और मुरैना की तीन-सीटों, शिवपुरी में एक, ग्वालियर में दो, और दतिया में भी सफलता मिल चुकी है। साल 2018 में पोहरी में करीब 32 फीसद वोटों के साथ बसपा प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे थे। वहीं, करैरा में बसपा तीसरे स्थान पर रही थी।
बसपा ने 2018 में यहां दो सीटें जीती थी। एक भाजपा में शामिल हो गया था। पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा ने भिंड और मुरैना के रास्ते मध्य प्रदेश में प्रवेश किया था। इन दोनों जिलों में इसका प्रभाव भी अच्छा खासा रहा है। पिछले 30 सालों में मप्र विधानसभा चुनाव में भिंड और मुरैना की तीन-सीटों, शिवपुरी में एक, ग्वालियर में दो, और दतिया में भी सफलता मिल चुकी है। साल 2018 में पोहरी में करीब 32 फीसद वोटों के साथ बसपा प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे थे। वहीं, करैरा में बसपा तीसरे स्थान पर रही थी।
यह भी पढ़ें
ग्रेटर नोएडा में चल रहे किसानों के प्रदर्शन में पहुंचे BKU के राकेश टिकैत, 13 दिनों से जीरो पॉइंट पर चल रहा है धरना
बागी नेताओं की पहली पसंद बसपाराजनीतिक जानकर कहते हैं कि बसपा बागी नेताओं की पहली पसंद होती है, क्योंकि इसका सॉलिड वोट बैंक है। मध्यप्रदेश बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल कहते हैं कि बसपा इस बार एमपी में 178 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इस बार बगैर बसपा के यहां सरकार नहीं बनेगी।
सपा का यहां कोई भी जनाधार नहीं है: बसपा अध्यक्ष
चंद्रशेखर के फैक्टर को वह नगण्य मानते हुए कहते हैं कि वह बसपा को सिर्फ कमजोर करने में लगे हैं। लेकिन कुछ होगा नहीं। सपा और कांग्रेस के गठबंधन को लेकर उन्होंने कहा इन लोगों का चरित्र यही है। सपा का यहां कोई भी जनाधार नहीं है। इस बार बसपा अच्छी सीटें भी बढ़ाएगी। प्रचार के लिए राम जी गौतम स्टेट इंचार्ज हैं, लगे हैं। आकाश आनंद भी हैं। बहन जी की भी कई रैलियां हैं। इससे माहौल बनेगा।
चंद्रशेखर के फैक्टर को वह नगण्य मानते हुए कहते हैं कि वह बसपा को सिर्फ कमजोर करने में लगे हैं। लेकिन कुछ होगा नहीं। सपा और कांग्रेस के गठबंधन को लेकर उन्होंने कहा इन लोगों का चरित्र यही है। सपा का यहां कोई भी जनाधार नहीं है। इस बार बसपा अच्छी सीटें भी बढ़ाएगी। प्रचार के लिए राम जी गौतम स्टेट इंचार्ज हैं, लगे हैं। आकाश आनंद भी हैं। बहन जी की भी कई रैलियां हैं। इससे माहौल बनेगा।
यूपी से सटे इलाके में सपा का वोट बैंक ठीक ठाक
समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं। भले ही सपा मध्यप्रदेश में कांग्रेस के मुकाबले में कुछ कमजोर हो। लेकिन कुछ क्षेत्र और कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां पिछले चुनाव में हमने बहुत अच्छा मार्जिन हासिल किया था। उदाहरण के लिए परसवाड़ा, बालाघाट और गूढ़ सीट है, जहां हमारी पार्टी दूसरे और तीसरे नंबर में आई थी। निवाड़ी में हम दूसरे नंबर पर थे। इसके अलावा यूपी से सटे इलाके में हमारा वोट बैंक ठीक ठाक है। इसीलिए पार्टी को इस क्षेत्र से उम्मीद भी है। सपा का सबसे बेहतर प्रदर्शन 2003 और उससे पहले 1998 में ही रहा था।
समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं। भले ही सपा मध्यप्रदेश में कांग्रेस के मुकाबले में कुछ कमजोर हो। लेकिन कुछ क्षेत्र और कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां पिछले चुनाव में हमने बहुत अच्छा मार्जिन हासिल किया था। उदाहरण के लिए परसवाड़ा, बालाघाट और गूढ़ सीट है, जहां हमारी पार्टी दूसरे और तीसरे नंबर में आई थी। निवाड़ी में हम दूसरे नंबर पर थे। इसके अलावा यूपी से सटे इलाके में हमारा वोट बैंक ठीक ठाक है। इसीलिए पार्टी को इस क्षेत्र से उम्मीद भी है। सपा का सबसे बेहतर प्रदर्शन 2003 और उससे पहले 1998 में ही रहा था।
2003 में सपा के जीते थे 7 उम्मीदवार
मध्यप्रदेश चुनाव आयोग के आंकड़ों में नजर डालें तो सपा के 2003 में सबसे ज्यादा सात प्रत्याशी यहां जीते थे। उसके पहले 1998 के विधानसभा चुनाव में भी इनके चार प्रत्याशी चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे थे। उसके बाद 2008 और 2018 में एक- एक प्रत्याशी चुनाव जीता था।
मध्यप्रदेश चुनाव आयोग के आंकड़ों में नजर डालें तो सपा के 2003 में सबसे ज्यादा सात प्रत्याशी यहां जीते थे। उसके पहले 1998 के विधानसभा चुनाव में भी इनके चार प्रत्याशी चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे थे। उसके बाद 2008 और 2018 में एक- एक प्रत्याशी चुनाव जीता था।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस से समझौता न होने पर सपा मुखिया अखिलेश यादव नाराज हैं। उन्होंने इसे लेकर हमला भी बोला है। उन्होंने कहा कि भाजपा को हराने के लिए अगर कांग्रेस को मध्यप्रदेश में समझौता नहीं करना था तो पहले ही मना कर देते। सपा ने सिर्फ उनसे वही सीटें मांगी थी जहां पिछले चुनाव में जीते या दूसरे नंबर पर थे। कांग्रेस जैसा व्यवहार सपा के साथ करेगी, उनके साथ वैसा ही किया जाएगा।