फील्ड गन फैक्ट्री के महाप्रबंधक तुषार त्रिपाठी इंजीनियरों ने बताया कि स्वदेशी धनुष व सारंग गन से अधिक एडवांस और फायरिंग रेंज क्षमता वाली गन तैयार करने का लक्ष्य लेकर माउंटेड गन तैयार की गई है। स्वदेशी माउंटेड गन को महज दो माह में तैयार की गई। माउंटेड गन सिस्टम 155 गुणा 52 कैलिबर की स्वदेशी बैरल से तैयार गन को परीक्षण के लिए इटारसी भेजा गया। यहां एक के बाद एक कई गोले दागकर परीक्षण किया गया। यह गन आम लोगों के नहीं है। विदेशी कंपनियों के ऑर्डर पर उपलब्ध कराई जाएगी।
यह भी पढ़े – शस्त्रों के हैं शौकीन तो माउजर, पिस्टल और रिवॉल्वर में जान लीजिए क्या है फर्क क्या है माउंटेड गन और सिस्टम सबसे पहले जान लीजिए माउंटेड गन क्या है। माउंटेज गन यानि तोप को गाड़ी के पीछे लगे हुक में फंसा कर ले जाया जाता उसको टोड गन सिस्टम कहते हैं। जिस पर भारतीय सेना की निर्भरता अधिक है। वहीं, जिस तोप को ट्रक से परिवहन किया जा सकता है उसको माउंटेड गन सिस्टम या माउंटेड गन या फिर माउंटेड तोप कहते हैं। यह गन नई तकनीक पर आधारित है। यह तोप 48 किमी दूर से ही दूश्मनों के ठिकानों को राख कर देगी।
यह भी पढ़े – कभी भारत बोफोर्स कंपनी से खरीदता था अस्त्र शस्त्र, अब बोफर्स को पसंद आई ‘सारंग’, आखिर क्या है खासियत हथियारों के लिए स्वतंत्र होगी सेना फील्ड गन फैक्ट्री के अपर महाप्रबंधक दिनेश सिंह बताते हैं कि सेना अभी तक माउंटेड गन के लिए स्वीडन सहित दूसरे देशों को आर्डर देती थी। स्वदेशी माउंटेड गन का परीक्षण सफल होने से अब सेना द्वारा कानपुर फील्ड गन फैक्ट्री को आर्डर दिए जाने की संभावना बढ़ी है। इस माउंटेड गन को ट्रक से एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकेगा।
कैसे तैयार की माउंटेड गन माउंटेड गन (तोप) बनाने से पहले ही इंजीनियों ने अपने लक्ष्य निर्धारित कर लिए थे। धनुष की सात मीटर बैरल से फायर रेंज 38 किमी तक था। फील्ड गन फैक्ट्री के इंजीनियरों ने उससे अधिक रेंज के लिए माउंटेड गन की बैरल को आठ मीटर लंबा किया। बैरल की लंबाई बढ़ाने पर गन (तोप) की फायरिंग रेंज 48 किमी तक पहुंच गई। यह पोर्टेबल होने के साथ सात वजन में भी बेहद कम है।