उन्होंने कहा कि पूर्व की व्यवस्था के अनुसार एक ही खाते में अंकित सभी खतौनी निकल आती थी। अब रियल टाइम खतौनी में अलग-अलग खतौनी निकल रही है, जिससे सभी का अलग-अलग शुल्क लिया जा रहा है।
गरीब किसान पर पड़ रहा है अतिरिक्त भार
शिवपाल यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार ने नई खतौनी को प्राप्त करने के संबध में कोई संशोधन या आदेश भी पारित नहीं किया है। अगर सरकार ने कोई आदेश जारी किया है तो इसकी सूचना दी जाए। उन्होंने कहा कि तहसील में इनकम लगातार बढ़ रही है लेकिन गरीब किसान पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है। उन्होंने कहा, “कई किसानों ने मुझे बताया कि पूर्व में खतौनी निकालने का शुल्क 10 रुपये था जो अब 15 रुपये हो गया है। इसके अलावा किसानों से सुविधा शुल्क भी लिया जाता है।”
यह भी पढ़ें
उत्तर प्रदेश में 11 अपर पुलिस अधीक्षकों का ट्रांसफर, लखनऊ के ADCP बनें अशोक कुमार सिंह
सपा सरकार में खतौनी का शुल्क कुल पेजों के लिए 15 रुपए था: शिवपाल यादव
शिवपाल यादव ने आगे कहा कि सपा सरकार में खतौनी का शुल्क कुल पेजों के लिए 15 रुपए रखा गया था, लेकिन मौजूदा सरकार किसानों से खतौनी के लिए प्रति पेज 15 रुपये वसूल रही है। इसके अलावा सुविधा शुल्क भी लिया जा रहा है। तहसील के अधिकारी नियमों का लाभ उठा रहे हैं। खतौनी की फीस 5 रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। शुल्क में वृद्धि करने से किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है।