लखनऊ

गरीब कोटे से यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर बने बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई, सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे सवाल

Siddharth University Kapilvastu प्रशासन ने कहा, फर्जी हुआ ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र तो होगी कार्रवाई

लखनऊMay 23, 2021 / 01:58 pm

Hariom Dwivedi

सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि मंत्री सतीश द्विवेदी ने नियुक्ति में अपनी पावर का इस्तेमाल किया है

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी (Dr Satish Dwivedi) के भाई अरुण द्विवेदी की नियुक्ति सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी, कपिलवस्तु (Siddhartha University) में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर हुई है। उनका चयन ईडब्लयूएस (आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य अभ्यर्थी) कोटे में मनोविज्ञान विभाग में हुआ है। असिस्टेंट प्रोफेसर (Assistant Professor) के पद पर चयन के बाद मंत्री के भाई ने 21 मई को ही सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में ज्वॉइन कर लिया था। इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर पोस्ट वायरल होने लगे, जहां लोग सवाल उठा रहे हैं कि मंत्री सतीश द्विवेदी ने नियुक्ति में अपनी पावर का इस्तेमाल किया है। मामले में मंत्री की ओर से फिलहाल कोई बयान नहीं आया है, लेकिन कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे ने कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया पूरी पारदर्शितता के साथ साथ हुई है।
Siddhartha University के कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे ने कहा कि मनोविज्ञान में करीब 150 आवेदन आए थे। मेरिट के आधार पर 10 आवेदकों का चयन किया गया। इसमें अरुण कुमार पुत्र अयोध्या प्रसाद भी थे। इन्हीं 10 का इंटरव्यू हुआ तो अरुण दूसरे स्थान पर रहे। इंटरव्यू, एकेडमिक व अन्य अंकों को जोड़ने पर अरुण पहले स्थान पर आ गए। इस वजह से इनका चयन हुआ है। किसी भी तरह की सिफारिश आने की बात का खंडन करते हुए प्रोफेसर ने कहा कि इंटरव्यू की वीडियो रिकार्डिंग उपलब्ध है। कहा कि अगर कोई एजेंसी जांच भी करना चाहती है तो वह उसके लिए तैयार है। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि अरुण द्विवेदी के सभी शैक्षिक प्रमाण पत्र सही थे। ईडब्ल्यूएस का प्रमाणपत्र प्रशासन जारी करता है। लेकिन, अगर उनका ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र फर्जी होगा तो निश्चित ही वह दंड के भागी होंगे।
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मनोविज्ञान में दो पद थे खाली
सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग (Psychology Department) में असिस्टेंट प्रोफेसर के 2 पद खाले थे। इसमें से एक पद ओबीसी कैटेगरी के लिए आरक्षित था तो दूसरा पद आर्थिक रूप से गरीब सामान्य वर्ग के लिए। मंत्री के भाई का चयन गरीब सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित पद पर हुआ है और उन्हें गृह जनपद सिद्धार्थनगर भी दिया गया है।
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