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ईको फ्रेंडली शिविर निर्माण की लगी होड़
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्रयागराज महाकुंभ को दिव्य भव्य, स्वच्छ और व्यवस्थित स्वरूप प्रदान कर रही है। सरकार की मंशा कुम्भ मेला क्षेत्र को पॉलीथिन मुक्त रखने की है। सरकार की इस मंशा को आगे बढ़ा रहे हैं यहां अस्थाई शिविर लगाने वाली संस्थाएं और साधु संत। अपर कुम्भ मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी बताते हैं कि महाकुम्भ क्षेत्र में इस बार 8 हजार से अधिक संस्थाएं बसनी हैं जो पिछले कुम्भ की तुलना में डेढ़ गुना अधिक हैं। इन संस्थाओं में 4500 संस्थाएं ऐसी हैं जो महाकुंभ में सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए अपने शिविर लगाती हैं। इन सभी संस्थाओं ने अपने अपने शिविर निर्माण में इस बार बांस से बने शिविर और प्रवेश द्वार निर्माण को प्राथमिकता दी है।त्रिवेणी की रेती पर वास करने की परंपरा
शास्त्री पुल के नीचे शिविर का निर्माण करा रहे देवरहा बाबा न्यास मंच के महंत राम दास का कहना है कि महाकुम्भ हो या माघ मेला त्याग और संयम के साथ त्रिवेणी की रेती पर वास करने की परम्परा रही है। इसके लिए कुटिया संस्कृति का भाव बांस से बने शिविरों में ही आता है। इसलिए धार्मिक संस्थाओं में बन रहे शिविरों में ईको फ्रेंडली शिविर बनाने को प्राथमिकता दी जा रही है। अखाड़ा क्षेत्र में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी में भी 32 कॉटेज बन रही हैं जो बांस के हैं। यह भी पढ़ें