गोरखनाथ और सुरेंद्र रावत मुख्य दावेदार: सूत्रों के मुताबिक टिकट की दौड़ में पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा और नौकरशाह व उप परिवहन आयुक्त सुरेंद्र रावत मुख्य दावेदार माने जा रहे हैं। गोरखनाथ बाबा 2017 में मिल्कीपुर सीट से विधायक रह चुके हैं, लेकिन 2022 में हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, सुरेंद्र रावत को उनके प्रशासनिक अनुभव और साफ छवि के कारण प्रमुख दावेदारों में गिना जा रहा है।
अन्य दावेदारों के नाम: पूर्व विधायक रामू प्रियदर्शी का नाम भी चर्चा में है। वे 1991 में सोहवल से विधायक रह चुके हैं और 2012 में भाजपा के टिकट पर मिल्कीपुर से चुनाव लड़ा था। उनके अलावा भाजपा अनुसूचित मोर्चा के कोषाध्यक्ष चंद्रकेश रावत, जिला संगठन महामंत्री राधेश्याम त्यागी, चंद्रभानु पासवान, पूर्व ब्लॉक प्रमुख विनय कुमार रावत, और जिला पंचायत सदस्य नेहा आनंद सिंह समेत कई अन्य नाम टिकट की दौड़ में शामिल हैं।
मिल्कीपुर सीट की अहमियत: मिल्कीपुर सीट भाजपा के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। हाल ही में हुए नौ विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने सात सीटें जीती थीं। इनमें अंबेडकरनगर की कटेहरी और मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर तीन दशकों बाद जीत हासिल करना पार्टी के लिए बड़ी उपलब्धि रही। ऐसे में भाजपा के लिए मिल्कीपुर सीट जीतना लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
गैर-विवादित चेहरा प्राथमिकता: पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि संगठन और सरकार के वरिष्ठ नेता मिल्कीपुर में गैर-विवादित नए चेहरे को मैदान में उतारने के पक्षधर हैं। इस रणनीति के तहत सुरेंद्र रावत को एक गंभीर दावेदार माना जा रहा है।
दावेदारों की लिस्ट लंबी: टिकट के लिए भाजपा के कई स्थानीय पदाधिकारी भी सक्रिय हैं। चंद्रभानु पासवान, सियाराम रावत, विजय बहादुर फौजी, काशीराम पासी, और शांति पासी जैसे नाम भी दावेदारी कर रहे हैं। पार्टी के उच्च स्तर पर सभी नामों पर मंथन जारी है, और जल्द ही प्रत्याशी का चयन कर लिया जाएगा।
भविष्य की रणनीति: भाजपा की रणनीति इस बार मिल्कीपुर में दमदार और गैर-विवादित चेहरा उतारकर सीट जीतने की है। पार्टी इस उप चुनाव को लोकसभा चुनाव की तैयारी के रूप में देख रही है।