एंटी साइक्लोनिक सर्कुलेशन (Anti cyclonic circulation) क्या है जानें एंटी साइक्लोनिक सर्कुलेशन का म्याने हैं कि, हवा का बिखरना। साइक्लोनिक सर्कुलेशन में लो-प्रेशर एरिया बनता है और हवाएं आपस में मिलकर उठती हैं। एंटी-साइक्लोनिक सर्कुलेशन में हाई-प्रेशर एरिया बनता है जिसमें हवाएं बिरखती हैं और नीचे गिरती हैं। एंटी साइक्लोन के बीच के हिस्से में हाई-प्रेशर के चलते एक तेज हवा का ब्लास्ट ऊपर से नीचे की तरफ होता है और गर्म हवाएं नीचे आती हैं। हवा कंप्रेस होने की वजह से और गर्म होती है और उसकी नमी भी कम होती है। गर्म हवाएं हाई-प्रेशर एरिया से लो-प्रेशर एरिया की तरफ बढ़ती हैं। नॉर्दन हेमिस्फियर में एंटी साइक्लोनिक हवा क्लॉकवाइस चलती हैं, वहीं साउदर्न हेमिस्फियर में एंटी क्लॉकवाइस चलती हैं।
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हीट वेव का मानक बीएसआईपी के वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक डॉ. सीएम नौटियाल का कहना है कि, दिल्ली-लखनऊ में यदि लगातार 10-12 दिन तक 39 डिग्री से अधिक तापमान रहता है तो हीट वेव मान लिया जात है। पर मानक मई महीने के हिसाब से है। मार्च में 39 डिग्री तापमान पहुंचना असामान्य परिस्थिति दर्शाता है। आने वाले दिन काफी कष्टप्रद हैं। यह भी पढ़ें