दरअसल, हाल में उत्तराखंड में बनी कुछ दवाओं के सैंपल जांच में फेल हो गए थे। पिछले साल रुड़की में नकली दवा निर्माण की फैक्ट्री भी पकड़ी गई थी। ऐसे में प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में भी घटिया दवाओं की सप्लाई तो नहीं हो रही, यह जांचने के लिए जांच के आदेश दिए गए हैं। ड्रग कंट्रोलर ने बताय कि सभी सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दी जा रही दवाओं की जांच और सैंपलिंग का निर्णय लिया गया है।
उत्तराखंड औषधि विभाग ने इन्हें दी जिम्मेदारी
औषधि विभाग ने गढ़वाल मंडल में एडीसी सुधीर कुमार और मनेंद्र राणा को जबकि कुमाऊं में एडीसी हेमंत नेगी और नीरज कुमार को यह जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने बताया कि शिकायत मिली है कि बाजार में कई ऐसी दवाएं बेची जा रही हैं जो दिखने में तो असली जैसी हैं पर वास्तव में उनमें दवा का कोई कंटेंट नहीं है। जग्गी ने बताया कि इसके चलते प्राइवेट मेडिकल स्टोरों में भी रैंडम जांच कर दवाओं की सैंपलिंग करने के निर्देश दिए गए हैं।