मायावती के निर्देश पर निष्क्रिय नेताओं की स्क्रीनिंग शुरू हो गई है। इसकी जिम्मेदारी पार्टी प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा को दी गई है। कुशवाहा कार्यकर्ताओं व नेताओं संग बैठकें कर ऐसे नेताओं की लिस्ट तैयार करेंगे, जिन्हें पार्टी ने ओहदा तो दिया है, लेकिन लंबे समय से वे निष्क्रिय हैं। आरएस कुशवाहा को अक्टूबर तक सक्रिय टीम तैयार करने के निर्देश दिये गये हैं।
बसपा ने पहली बार किया ये काम
मिशन 2019 फतेह के लिये मायावती ने पहली दो राष्ट्रीय को-ऑर्डिनेटर बनाये हैं। बसपा संगठन में राष्ट्रीय स्तर से लेकर स्थानीय स्तर तक बदलाव की शुरुआत हो चुकी है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर को राष्ट्रीय महासचिव और कई प्रदेशों का प्रभारी बनाया गया है। सुलतानपुर में कई नेताओं को पार्टी से बाहर किया जा चुका है। अन्य सभी जिलों के नेताओं की लिस्ट तैयार की जा रही है, जिन्हें जल्द से जल्द बाहर की राह दिखाई जाएगी।
मिशन 2019 फतेह के लिये मायावती ने पहली दो राष्ट्रीय को-ऑर्डिनेटर बनाये हैं। बसपा संगठन में राष्ट्रीय स्तर से लेकर स्थानीय स्तर तक बदलाव की शुरुआत हो चुकी है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर को राष्ट्रीय महासचिव और कई प्रदेशों का प्रभारी बनाया गया है। सुलतानपुर में कई नेताओं को पार्टी से बाहर किया जा चुका है। अन्य सभी जिलों के नेताओं की लिस्ट तैयार की जा रही है, जिन्हें जल्द से जल्द बाहर की राह दिखाई जाएगी।
नजर पुराने बसपाइयों पर भी
मायावती जहां निष्क्रिय नेताओं पर सख्त नाराज हैं, वहीं कई पुराने बसपाइयों को फिर से पार्टी में जोड़ने की तैयारी में हैं। बसपा सुप्रीमो के निर्देश पर देवरिया के पूर्व सांसद गोरख जायसवाल को पार्टी में फिर से शामिल किया गया है। साथ ही बरहज विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके मुरली मनोहर जायसवाल, श्याम मनोहर जायसवाल और प्रीतम जायसवाल को दोबारा पार्टी में शामिल किया गया है।
मायावती जहां निष्क्रिय नेताओं पर सख्त नाराज हैं, वहीं कई पुराने बसपाइयों को फिर से पार्टी में जोड़ने की तैयारी में हैं। बसपा सुप्रीमो के निर्देश पर देवरिया के पूर्व सांसद गोरख जायसवाल को पार्टी में फिर से शामिल किया गया है। साथ ही बरहज विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके मुरली मनोहर जायसवाल, श्याम मनोहर जायसवाल और प्रीतम जायसवाल को दोबारा पार्टी में शामिल किया गया है।
2019 में मायावती किंग मेकर की भूमिका में
पिछले लोकसभा चुनाव में भले ही बसपा का खाता नहीं खुला था, लेकिन इस बार मायावती किंग मेकर की भूमिका में नजर आ रही हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उपचुनाव में जीत के बाद सियासी गलियारों में फिर से मायावती का रुतबा बढ़ चला है। यूपी की सियासत की बदली परिस्थितियों के कारण उनकी अहमियत ज्यादा बढ़ गयी है। साथ ही बसपा का परंपरागत दलित वोट बैंक फिर से एकजुट होता हुआ दिखाई दे रहा है।
पिछले लोकसभा चुनाव में भले ही बसपा का खाता नहीं खुला था, लेकिन इस बार मायावती किंग मेकर की भूमिका में नजर आ रही हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उपचुनाव में जीत के बाद सियासी गलियारों में फिर से मायावती का रुतबा बढ़ चला है। यूपी की सियासत की बदली परिस्थितियों के कारण उनकी अहमियत ज्यादा बढ़ गयी है। साथ ही बसपा का परंपरागत दलित वोट बैंक फिर से एकजुट होता हुआ दिखाई दे रहा है।
दर्जन भर बीजेपी सांसद बसपा में जाने की जुगत में
लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी यूपी के करीब 25 सांसदों के टिकट काटने की जा रही है। साथ ही सपा-बसपा गठबंधन की आहट ने बीजेपी के कई सांसदों की नींद उड़ा रखी है। उन्हें डर है कि गठबंधन प्रत्याशी के सामने उनके फिर से जीतने की उम्मीदें कम हैं। ऐसे में कई सांसद पाला बदलने की तैयारी में हैं और बसपा उनकी पहली पसंद बसपा बनती जा रही है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बीते दिनों भाजपा के पांच सांसदों ने बसपा के एक बड़े नेता से मिलकर हाथी पर सवार होने की इच्छा जताई है। कुल मिलाकर करीब एक दर्जन भाजपा सांसद बसपा के संपर्क में हैं। फिलहाल बसपा के बड़े नेता का कहना है कि फिलहाल भाजपा सांसदों कों पार्टी में लेने का कोई इरादा नहीं है। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के 71 नेता सांसदी जीते थे। पार्टी इस बार उनके कामों के आधार पर टिकट बांटने की तैयारी में है। माना जा रहा कि 2019 में बीजेपी मौजूदा 25 से अधिक सांसदों के टिकट काट सकती है।
लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी यूपी के करीब 25 सांसदों के टिकट काटने की जा रही है। साथ ही सपा-बसपा गठबंधन की आहट ने बीजेपी के कई सांसदों की नींद उड़ा रखी है। उन्हें डर है कि गठबंधन प्रत्याशी के सामने उनके फिर से जीतने की उम्मीदें कम हैं। ऐसे में कई सांसद पाला बदलने की तैयारी में हैं और बसपा उनकी पहली पसंद बसपा बनती जा रही है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बीते दिनों भाजपा के पांच सांसदों ने बसपा के एक बड़े नेता से मिलकर हाथी पर सवार होने की इच्छा जताई है। कुल मिलाकर करीब एक दर्जन भाजपा सांसद बसपा के संपर्क में हैं। फिलहाल बसपा के बड़े नेता का कहना है कि फिलहाल भाजपा सांसदों कों पार्टी में लेने का कोई इरादा नहीं है। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के 71 नेता सांसदी जीते थे। पार्टी इस बार उनके कामों के आधार पर टिकट बांटने की तैयारी में है। माना जा रहा कि 2019 में बीजेपी मौजूदा 25 से अधिक सांसदों के टिकट काट सकती है।